‘कविता का गणित’ प्रकाश थपलियाल का दूसरा कहानी-संग्रह है। इसमें जहाँ कई वाकयों को कथाकार नये नजरिये के साथ पेश करता है वहीं उनका व्यंग्य भी पाठक को अन्दर तक उद्वेलित करता है। जीविका और श्रद्धा के बीच का द्वन्द्व ‘लाल सलाम’ जैसी कहानियों में खुलकर उभरता है तो ‘बोरी’ और ‘मजमा’ जैसी कहानियों में राजनीति और बाजार की सीढ़ियों से ऊपर चढ़ते पात्र दिखाई देते हैं। ‘कीड़ा-जड़ी की खोज में’ कहानी कथाकार की किस्सागोई की अपनी ही तकनीक और बुनावट सामने लाती है। कुल मिलाकर इस कथा-संग्रह में हर कहानी का अपना ही सलीका और रंग है।
‘गाली’ कहानी को पढ़कर पाठक सोचने को मजबूर हो जाता है कि ऐसा क्यों है कि गाली हमेशा औरत को केन्द्र में रखकर ही दी जाती है। ‘लाल सलाम’ कहानी विचार को श्रेष्ठतम और अक्षुण्ण बताने वालों से सवाल करती है तो ‘भगवान इनसान’ में लेखक भगवान और इनसान के बीच का फर्क आसानी से सामने रख जाता है।
‘मजमा’ पैसे की ताकत की तरफ इंगित करती है और बताती है कि बाजार में कीमती वह चीज नहीं है जो ज्यादा काम की है बल्कि वह है जिसे ज्यादा काम की बताया जाता है। मुकाबला इसमें है कि बताने के इस फन में कौन कितना माहिर है।
थपलियाल का कहानी कहने का भी अपना भिन्न तरीका है जिसमें वे जब-तब प्रयोग करते दिखाई देते हैं। अपनी कहानियों के बारे में स्वयं उनकी धारणा है कि हिन्दी मुख्यधारा में पर्वतीय परिवेश के शब्दों की बहुत कमी है और पर्वतीय बोली-भाषा से अधिक से अधिक संवाद द्वारा यह कमी दूर की जा सकती है। इन कहानियों में उन्होंने यह संवाद बनाने की भी कोशिश की है। वे घटनाधर्मिता को कहानी की आत्मा मानते हैं और उनकी कहानियों की पठनीयता इसी घटनाधर्मिता से बनती है जिसे वे बिना हिंसा और मार-धाड़ के, मासूमियत से निभा जाते हैं और पाठक को नई दिशा में सोचने को प्रेरित करते हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2012
Edition Year 2023, Ed. 3rd
Pages 112p
Translator Translator One
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1
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Prakash Thapliyal

Author: Prakash Thapliyal

प्रकाश थपलियाल                           

जन्म : 23 सितम्बर, 1956 को उत्तराखंड में आदिबदरी के पास थापली गाँव में।

शिक्षा : आठवीं तक शिक्षा गाँव में; माध्यमिक शिक्षा दिल्ली में। स्नातक परीक्षा दिल्ली विश्वविद्यालय से उत्तीर्ण की। बाद में उन्होंने पत्रकारिता में स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त कर इसी विषय में डॉक्टरेट की।

प्रकाश थपलियाल पेशे से पत्रकार हैं और गत ढाई दशक से इस पेशे से जुड़े हैं। हिन्दी साहित्य में भी उनका योगदान विशिष्ट है। उन्होंने सुप्रसिद्ध ‘हिमालयन गजेटियर’ ग्रन्थ-शृंखला का अनुवाद किया है। जिम कार्बेट की ‘मैन ईटिंग लेपर्ड ऑफ़ रुद्रप्रयाग’ के हिन्दी अनुवाद का श्रेय भी उन्हें है। इनके अलावा भी अनेक पुस्तकों का उन्होंने अनुवाद और सम्पादन किया है। उनकी कहानियाँ और व्यंग्य प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहे हैं।

प्रमुख कृतियाँ : ‘पहाड़ की पगडंडियाँ’, ‘कविता का गणित’ आदि।

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