Isee Kaya Mein Moksha

Author: Dinesh Kushawah
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Isee Kaya Mein Moksha
दिनेश कुशवाह संवेदनात्मक ज्ञान के आलोचकीय विवेक सम्पन्न कवि हैं। उनकी कविताएँ सहजबुद्धि के विवेक से उपजी रचनाएँ हैं; इसीलिए मुक्त छन्द में होने के बावजूद उनमें संगति, गत्यात्मकता, आन्तरिक लय, संवेदना एवं प्रेम के स्वर प्रमुख हैं। व्यक्तियों, सम्बन्धों, स्थानों पर केन्द्रित दिनेश कुशवाह की कविताएँ स्मृति, आत्मीयता और मूल्यांकन की ईमानदार मनुष्योपयोगी कलाकृतियाँ हैं। दिनेश कुशवाह की प्रेम कविताओं में प्रेम समाजशास्त्रीय या मनोवैज्ञानिक अध्ययन के विषय के रूप में जीवनीशक्ति की तरह आता है–आर्द्र और उष्ण! विषयों की विविधता, प्रगतिशील मूल्यों की पक्षधरता एवं परकाया प्रवेश से कवि ने अपनी कविताओं का संसार उदार एवं व्यापक बनाया है। दिनेश कुशवाह की लड़की विषयक, अभिनेत्रियों पर और ‘एकलव्य की तरफ से’ जैसी कविताएँ उतनी ही प्रामाणिक हैं जितनी हमारी नजरों के सामने की यह दुनिया। ‘लड़की और सोना’, ‘नदी’ तथा ‘खजुराहो में मूर्तियों के पयोधर’ सौन्दर्य के दोनों पक्षों की गंगा-जमुनी कृतियाँ हैं। संक्षेप में दिनेश कुशवाह की सौन्दर्य-दृष्टि दार्शनिक महत्वाकांक्षा रखती है। कविताओं में मौजूद प्रवाहमयता, रागात्मकता, ओजस्विता के प्रसंग में यह कहना अतिशयोक्ति नहीं होगी कि दिनेश कुशवाह का कवि-कर्म विद्यापति के अपरूप रूप, तुलसी के कवित्व विवेक, कबीर की आँखिन देखी, मीर-गालिब की दुनिया और विश्व साहित्य के गम्भीर अध्ययन से उत्पन्न सूझ और लोकसंपृक्ति से परिचालित होता है। पाठकों को हर्ष होगा कि दिनेश कुशवाह की कविताओं में समझ में न आने लायक कुछ नहीं है। अपठनीय, दुर्बोध, भीषण बौद्धिक कविताओं के इस संकटपूर्ण समय में उनकी कविताएँ पढ़ने और याद रखने योग्य हैं। वे प्रेम, सौन्दर्य और परिवर्तनकामी चेतना के कवि हैं। सही मायने में ‘मेजर वेवलेंथ’ के कवि। –प्रह्लाद अग्रवाल
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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2007
Edition Year 2022, Ed. 3rd
Pages 111p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Dinesh Kushawah

Author: Dinesh Kushawah

दिनेश कुशवाह


जन्म : 8 जुलाई, 1961; ग्राम—गहिला, सतराँव, देवरिया (उ.प्र.) में।
शिक्षा : एम.ए., पीएच.डी. (काशी हिन्दू विश्वविद्यालय)।

कविताएँ हिन्दी की सभी शीर्षस्थ पत्र–पत्रिकाओं में प्रकाशित। कुछ कविताएँ दूसरी भारतीय भाषाओं में अनूदित। एक दशक तक साम्यवादी छात्र राजनीति के पूर्णकालिक कार्यकर्ता। राहुल सांकृत्यायन पर लम्बे समय तक शोध-कार्य। 1985 से काव्य–रचना और साहित्य के क्षेत्र में सक्रिय। पहली बार कविताएँ सोमदत्त द्वारा सम्पादित ‘साक्षात्कार’ के अंक अप्रैल–जून 1989 में प्रकाशित। ख़ूब घुम्मकड़ी की। फ़‍िलहाल कविता को लोगों के बीच ले जाने के आन्दोलन ‘अलावों के बीच मशाल की लौ पर कविता’ को लेकर सक्रिय। राहुल के कथा साहित्य पर एक आलोचना–पुस्तक प्रकाशित।

प्रमुख कृतियाँ : ‘इसी काया में मोक्ष’, ‘इतिहास में अभागे’ आदि।
सम्मान : सन् 1994 के ‘निराला सम्मान’ से सम्मानित ।
सम्प्रति : अध्यक्ष, हिन्‍दी विभाग, प्रभारी आचार्य, जनजातीय अध्ययन केन्द्र, अवधेश प्रताप सिंह विश्वविद्यालय, रीवा (म.प्र.)। निदेशक, महाकवि केशव अध्यापन एवं अनुसंधान केन्द्र, ओरछा ।

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