Hindi Natak-Text Book

Author: Bachchan Singh
₹195.00
ISBN:9788171196777
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9788171196777
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नाटक एक श्रव्य-दृश्य काव्य है, अत: इसकी आलोचना के लिए उन व्यक्तियों की खोज ज़रूरी है जो इसके श्रव्यत्व और दृश्यत्व को एक साथ उद्घाटित कर सकें। वस्तु, नेता और रस के पिटे-पिटाए प्रतिमानों से इसका सही और नया मूल्यांकन सम्‍भव नहीं है और न ही कथा-साहित्य के लिए निर्धारित लोकप्रिय सिद्धान्‍तों—कथावस्तु, चरित्र, देशकाल, भाषा, उद्देश्य से ही इसका विवेचन सम्‍भव है।

प्रसाद के नाटकों में कुछ लोगों ने अर्थ-प्रकृतियों, कार्यावस्थाओं और पंच-सन्धियों को खोजकर नाट्यालोचन को विकृत कर रखा था। यह यंत्रगतिक प्रणाली किसी काम की नहीं है। इस पुस्तक में इन समीक्षा-पद्धतियों को अस्वीकार करते हुए पूर्व-पश्चिम की नवीनतम विकसित समीक्षा-सरणियों का आश्रय लिया गया है।

लेखक का केन्‍द्रीय विवेच्य है नाटक की नाट्यमानता। नाटक की भाषा हरकत की भाषा होती है, क्रियात्मकता की भाषा होती है। इसी से नाटक को विशिष्ट रूप मिलता है और वह सामाजिक-सांस्कृतिक सरोकारों को उजागर करती है। इसी से नाटककार की ऐतिहासिक विश्वदृष्टि का भी पता चलता है। हिन्‍दी के कुछ शिखरों—‘अंधेर नगरी’, ‘स्कन्‍दगुप्त’, ‘ध्रुवस्वामिनी’, ‘अंधा-युग’, ‘लहरों के राजहंस’, ‘आधे-अधूरे’ पर विशेष ध्यान दिया गया है जो आज भी महत्त्वपूर्ण और प्रासंगिक हैं।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 1989
Edition Year 2022, Ed. 6th
Pages 214p
Price ₹195.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Bachchan Singh

Author: Bachchan Singh

बच्चन सिंह

हिन्‍दी साहित्य का दूसरा इतिहास के रूप में हिन्‍दी को एक अनूठा आलोचना-ग्रन्‍थ देनेवाले बच्चन सिंह का जन्म 2 जुलाई, 1919 को जिला जौनपुर के मदवार गाँव में हुआ था।

शिक्षा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी और हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय, शिमला में हुई।

आलोचना के क्षेत्र में आपका योगदान इन पुस्तकों के रूप में उपलब्ध है : क्रान्तिकारी कवि निराला, नया साहित्य, आलोचना की चुनौती, हिन्दी नाटक, रीतिकालीन कवियों की प्रेम-व्यंजना, बिहारी का नया मूल्यांकन, आलोचक और आलोचना, आधुनिक हिन्दी आलोचना के बीज शब्द, साहित्य का समाजशास्त्र और रूपवाद, आधुनिक हिन्दी साहित्य का इतिहास, भारतीय और पाश्चात्य काव्यशास्त्र का तुलनात्मक अध्ययन तथा हिन्दी साहित्य का दूसरा इतिहास।

कथाकार के रूप में आपने लहरें और कगार, सूतो व सूतपुत्रो वा (उपन्यास) तथा कई चेहरों के बाद (कहानी-संग्रह) की रचना की। लगभग एक दशक तक प्रचारिणी पत्रिका के सम्‍पादक रहे।

निधन : 5 अप्रैल, 2008

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