Hindi Kahani : Antarvastu ka shilp

Author: Rahul Singh
Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹420.75 Regular Price ₹495.00
10% Off
In stock
SKU
Hindi Kahani : Antarvastu ka shilp
- +
Share:

स्वातंत्र्योत्तर हिन्दी कहानी के महत्त्वपूर्ण रचनाकारों के बहाने यह किताब कहानी आलोचना के इलाके की एक बड़ी कमी को पूरा करती है। कविता और उपन्यासों को लेकर छिटपुट ढंग से ही सही आलोचना का जैसा एक स्टैंड बनता है, कहानी को लेकर वैसा व्यवस्थित विचार अक्सर सामने नहीं आ पाता है। ऐसे में यह पुस्तक अपने तरीके से आजादी बाद के एक अहम कालखंड के कहानीकारों और उनकी रचनात्मकता के साथ कहानी के सामान्य परिदृश्य का एक दिलचस्प और अर्थवान खाका खींचती है।

वे कहानीकार जिन्होंने अपने कौशल से कहानी की क्षमता को बढ़ाया, अपने समय के सवालों से दो-चार हुए, और जो भारतीय समाज के बहुमुखी बदलाव को सफलतापूर्वक पकड़ सके, ऐसे सभी प्रमुख कथाकार यहाँ चर्चा के केन्द्र में हैं। जनवादी विचार से समृद्ध संजीव और स्वयं प्रकाश हों, भाषा को कलात्मक सूझ से बरतने वाले प्रियंवद और आनन्द हर्षुल हों, कहानी विधा की गहरी समझदारी रखनेवाले लेकिन अपेक्षाकृत कम चर्चित रहे अरुण प्रकाश और नवीन सागर हों, दलित स्वानुभव से कहानी को समृद्ध करने वाले ओमप्रकाश वाल्मीकि हों या कहानी के क्षितिज पर परिघटना की तरह प्रकट होने वाले उदय प्रकाश, शिवमूर्ति, अखिलेश और योगेन्द्र आहूजा हों, सभी का एक आस्वादपरक क्रिटीक इस पुस्तक में शामिल है।

इन सभी कथाकारों ने अपने-अपने मोर्चे से मानवीय मूल्यों के पक्ष में लगातार संघर्ष किया, समय को समझने और समझाने के लिए घटनाओं और चरित्रों की एक बड़ी आकाशगंगा रची। निस्सन्देह आने वाले वक्त में उनकी रचनाएँ बीसवीं सदी के उत्तरार्द्ध के भारत को समझने में दस्तावेजों की तरह काम आएँगी। प्रखर युवा आलोचक राहुल सिंह ने यहाँ संकलित एक-एक आलेख में प्रयास किया है कि प्रत्येक लेखक की अपनी विशेषताओं के रेखांकन के साथ उनके दौर के सामाजिक-राजनीतिक मिजाज को भी पकड़ा जा सके, और यह वे सफलतापूर्वक कर सके हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 184p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Hindi Kahani : Antarvastu ka shilp
Your Rating

Author: Rahul Singh

राहुल सिंह

राहुल सिंह का जन्म 13 जनवरी, 1981 को राँची, झारखंड के हटिया गाँव में हुआ। स्नातकोत्तर तक की शिक्षा राँची से और पी-एच.डी. जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, दिल्ली से। उनकी प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘विचार और आलोचना’, ‘अन्तर्कथाओं के आईने में उपन्यास’, ‘विश्व सिनेमा का बाईस्कोप’, ‘हिन्दी कहानी : अन्तर्वस्तु का शिल्प’।

साहित्य से इतर सिनेमा और विभिन्न कला रूपों में उनकी दिलचस्पी है और इन विषयों पर लगातार लिखते रहे हैं। डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान, राँची द्वारा ‘औपनिवेशिक काल में बांग्ला, मराठी और हिन्दी नवजागरण का जनजातीय सामाजिक धार्मिक आन्दोलनों के साथ तुलनात्मक अध्ययन’ विषय पर फ़ेलोशिप प्राप्त।

उन्हें ‘सीताराम शास्त्री स्मृति आलोचना पुरस्कार’ (2018), ‘वनमाली युवा कथा आलोचना सम्मान’ (2019), ‘देवीशंकर अवस्थी आलोचना सम्मान’ (2020) से सम्मानित किया जा चुका है।

सम्प्रति : असिस्टेंट प्रोफ़ेसर, ए. एस. महाविद्यालय, देवघर (झारखंड)।

सम्पर्क : alochakrahul@gmail.com

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top