Himalaya Ka Itihas

Edition: 2024, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
As low as ₹315.00 Regular Price ₹350.00
10% Off
In stock
SKU
Himalaya Ka Itihas
- +
Share:

हिमालय का गहरा नाता भारत के इतिहास और संस्कृति से है। लेकिन अपनी विशिष्ट भौगोलिक अवस्थिति और अनूठी सांस्कृतिक महत्ता के कारण, यह जन-सामान्य के लिए इतिहास का विषय उतना नहीं रहा है जितना गौरव और श्रद्धा की वस्तु। वास्तव में एक मानवीय पर्यावास और सभ्यता के केन्द्र के रूप में हिमालय का इतिहास अब भी काफी कुछ अजाना है। इस सन्दर्भ में मदन चन्द्र भट्ट की यह पुस्तक एक महत्त्वपूर्ण पाठ है, जिसमें भारत के उत्तरी, दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र का सारगर्भित ऐतिहासिक आकलन प्रस्तुत किया गया है।

लेखक ने हिमालय क्षेत्र में मौजूद शैलचित्रों, अभिलेखों, स्थापत्य और शिल्प अवशेषों, ताम्रपत्रों, सिक्कों जैसे पुरातात्त्विक साक्ष्यों को ही नहीं, बल्कि प्राचीन ग्रन्थों, लोक अनुश्रुतियों और राजस्व विवरणों में उल्लिखित विवरणों को आधार बनाकर एक सिलसिलेवार चित्र उकेरा है। उसका जोर सम्पूर्ण और प्रामाणिक लेखा प्रस्तुत करने तथा सर्वमान्य निष्कर्षों को प्रमुखता देने पर रहा है। जो तथ्य-निष्कर्ष विवादित रहे हैं उनका भी यथास्थान उल्लेख किया गया है।

सुदूर अतीत में अन्य क्षेत्रों की तरह हिमालय क्षेत्र में भी छोटे राज्यों ने आंचलिक और जनपदीय संस्कृतियों का निर्माण किया था। स्वाभाविक ही उनमें स्थानीयता का दृष्टिकोण विकसित हुआ, जब-तब सामाजिक-सांस्कृतिक संकीर्णता के कतिपय तत्त्व भी पनपे। लेकिन अन्य राज्यों और संस्कृतियों से वे कटे नहीं रहे और भारतवर्ष की बुनियादी एकता को मजबूत बनाने में उनका भी योगदान रहा। इस तथ्य को सप्रमाण बतलाते हुए यह पुस्तक एक तरफ उपेक्षित,ओझल पक्षों को सामने लती है, तो दूसरी तरफ भारत के इतिहास में हिमालय क्षेत्र के इतिहास को यथोचित स्थान देने का प्रस्ताव करती है।

इतिहास के अध्येताओं, शोधार्थियों, विद्यार्थियों से लेकर आम पाठक तक के लिए समान रूप से पठनीय और संग्रहणीय कृति!

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 312p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Himalaya Ka Itihas
Your Rating
Madan Chandra Bhatt

Author: Madan Chandra Bhatt

मदन चन्द्र भट्ट

मदन चन्द्र भट्ट का जन्म 13 जनवरी, 1944 को पिथौरागढ़ के विशाड़ गाँव में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा पिथौरागढ़ से तथा उच्च शिक्षा डीएसबी कॉलेज, नैनीताल से हुई। आगरा विश्वविद्यालय से इतिहास में

पी.एच-डी. की उपाधि प्राप्त की। उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में अध्यापन किया और प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए।

पहला लेख 1967 में इंटर कॉलेज पिथौरागढ़ की पत्रिका में ‘स्त्री शिक्षा’ नाम से छपा तथा पहली कहानी ‘भिक्षुणी’ 1964 में सरिता में छपी। ‘ग्राम लक्ष्मी’, ‘स्वप्न’, ‘नदीपुत्र’, ‘नया कोट’ आदि कहानियाँ चर्चित रहीं। गिरिराज साप्ताहिक में भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम पर बीस अंकों में धारावाहिक लेख छपा। पर्वतीय इतिहास परिषद की स्थापना एवं पत्रिका का प्रकाशन किया। पिथौरागढ़ में सुमेरु संग्रहालय की स्थापना की। उत्तराखंड के इतिहास पर नैनीताल, पौड़ी, कोटद्वार, श्रीनगर, गोपेश्वर एवं बद्रीनाथ में ऐतिहासिक प्रदर्शनियों का आयोजन किया। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—हिमालय का इतिहास, कुमाऊँ की जागर कथाएँ : मेरु पर्वत का इतिहास, मल्ल और मध्यकालीन उत्तराखंड (चन्द्र सिंह चौहान के साथ)।

उत्तराखंड के पुराने कवियों की पांडुलिपियों की खोज में उनकी विशेष रुचि रही है। कबीरपंथी कवि शिवनारायण की सतोपंथी, सुधामा कवि की बारहखड़ी, संग्राम नायक की उषा-अनिरुद्ध चरित विठ्ठल दीक्षित की पद्धति कल्पवल्ली, अजयपाल की रक्षावली और गुमानी कवि की आत्मकथा की खोज कर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनसे जुड़े लेख लिख चुके हैं। 

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top