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Madan Chandra Bhatt

Madan Chandra Bhatt

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मदन चन्द्र भट्ट

मदन चन्द्र भट्ट का जन्म 13 जनवरी, 1944 को पिथौरागढ़ के विशाड़ गाँव में हुआ। प्रारम्भिक शिक्षा पिथौरागढ़ से तथा उच्च शिक्षा डीएसबी कॉलेज, नैनीताल से हुई। आगरा विश्वविद्यालय से इतिहास में

पी.एच-डी. की उपाधि प्राप्त की। उत्तर प्रदेश/उत्तराखंड के विभिन्न राजकीय महाविद्यालयों में अध्यापन किया और प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त हुए।

पहला लेख 1967 में इंटर कॉलेज पिथौरागढ़ की पत्रिका में ‘स्त्री शिक्षा’ नाम से छपा तथा पहली कहानी ‘भिक्षुणी’ 1964 में सरिता में छपी। ‘ग्राम लक्ष्मी’, ‘स्वप्न’, ‘नदीपुत्र’, ‘नया कोट’ आदि कहानियाँ चर्चित रहीं। गिरिराज साप्ताहिक में भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम पर बीस अंकों में धारावाहिक लेख छपा। पर्वतीय इतिहास परिषद की स्थापना एवं पत्रिका का प्रकाशन किया। पिथौरागढ़ में सुमेरु संग्रहालय की स्थापना की। उत्तराखंड के इतिहास पर नैनीताल, पौड़ी, कोटद्वार, श्रीनगर, गोपेश्वर एवं बद्रीनाथ में ऐतिहासिक प्रदर्शनियों का आयोजन किया। उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—हिमालय का इतिहास, कुमाऊँ की जागर कथाएँ : मेरु पर्वत का इतिहास, मल्ल और मध्यकालीन उत्तराखंड (चन्द्र सिंह चौहान के साथ)।

उत्तराखंड के पुराने कवियों की पांडुलिपियों की खोज में उनकी विशेष रुचि रही है। कबीरपंथी कवि शिवनारायण की सतोपंथी, सुधामा कवि की बारहखड़ी, संग्राम नायक की उषा-अनिरुद्ध चरित विठ्ठल दीक्षित की पद्धति कल्पवल्ली, अजयपाल की रक्षावली और गुमानी कवि की आत्मकथा की खोज कर विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में उनसे जुड़े लेख लिख चुके हैं। 

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