Gudia Bhitar Gudiya-Hard Cover

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9788126715350
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यह है मैत्रेयी पुष्पा की आत्मकथा का दूसरा भाग। ‘कस्तूरी कुंडल बसै’ के बाद ‘गुड़िया भीतर गुड़िया’। आत्मकथाएँ प्रायः बेईमानी की अभ्यास-पुस्तिकाएँ लगती हैं क्योंकि कभी सच कहने की हिम्मत नहीं होती तो कभी सच सुनने की। अक्सर लिहाज़ में कुछ बातें छोड़ दी जाती हैं तो कभी उन्हें बचा-बचाकर प्रस्तुत किया जाता है। मैत्रेयी ने इसी तनी रस्सी पर अपने को साधते हुए कुछ सच कही हैं—अक्सर लक्ष्मण-रेखाओं को लाँघ जाने का ख़तरा भी उठाया है।

मैत्रेयी ने डॉ. सिद्धार्थ और राजेन्द्र यादव के साथ अपने सम्बन्धों को लगभग आत्महंता बेबाकी के साथ स्वीकार किया है। यहाँ सबसे दिलचस्प और नाटकीय सम्बन्ध हैं पति और मैत्रेयी के बीच, जो पत्नी की सफलताओं पर गर्व और यश को लेकर उल्लसित हैं मगर सम्पर्कों को लेकर ‘मालिक’ की तरह सशंकित।

घर-परिवार के बीच मैत्रेयी ने वह सारा लेखन किया है जिसे साहित्य में बोल्ड, साहसिक और आपत्तिजनक इत्यादि न जाने क्या-क्या कहा जाता है और हिन्दी की बदनाम मगर अनुपेक्षणीय लेखिका के रूप में स्थापित हैं।

‘गुड़िया भीतर गुड़िया’ एक स्त्री के अनेक परतीय व्यक्तित्व और एक लेखिका की ऐसी ईमानदार आत्म-स्वीकृतियाँ हैं जिनके साथ होना शायद हर पाठक की मजबूरी है।

हाँ, अब आप सीधे मुलाक़ात कीजिए ‘गुड़िया भीतर गुड़िया’ यानी साहित्य की अल्मा कबूतरी के साथ।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2008
Edition Year 2018, Ed. 4th
Pages 352p
Price ₹895.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 3
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Maitreyi Pushpa

Author: Maitreyi Pushpa

मैत्रेयी पुष्‍पा

 

जन्म : 30 नवम्बर, 1944; अलीगढ़ ज़ि‍ले के सिकुर्रा गाँव में।

आरम्भिक जीवन : ज़ि‍ला झाँसी के खिल्ली गाँव में।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी साहित्य), बुन्देलखंड कॉलेज, झाँसी।

प्रमुख कृतियाँ : ‘चिन्हार’, ‘गोमा हँसती है’, ‘ललमनियाँ तथा अन्य कहानियाँ’, ‘पियरी का सपना’, ‘10 प्रतिनिधि कहानियाँ’, ‘समग्र कहानियाँ’ (कहानी-संग्रह); ‘बेतवा बहती रही’, ‘इदन्नमम’, ‘चाक’, ‘झूला नट’, ‘अल्मा कबूतरी’, ‘अगनपाखी’, ‘विजन’, ‘कही ईसुरी फाग’, ‘त्रिया हठ’, ‘गुनाह-बेगुनाह’, ‘फ़रिश्ते निकले’ (उपन्यास); ‘कस्तूरी कुंडल बसै’, ‘गुड़िया भीतर गुड़िया’ (आत्मकथा); ‘खुली खिड़कियाँ’, ‘सुनो मालिक सुनो’, ‘चर्चा हमारा’, ‘आवाज़’, ‘तब्दील निगाहें’ (स्त्री-विमर्श); ‘फ़ाइटर की डायरी’ (रिपोर्ताज)।

‘फ़ैसला’ कहानी पर टेलीफ़ि‍ल्म 'वसुमती की चिट्ठी’ और ‘इदन्नमम’ पर 'मंदा हर युग में’ धारावाहिक का प्रसारण।

प्रमुख सम्मान : ‘सार्क लिट्रेरी अवार्ड’, 'द हंगर प्रोजेक्ट’ (पंचायती राज) का ‘सरोजिनी नायडू पुरस्कार’, ‘मंगला प्रसाद पारितोषिक’, ‘प्रेमचन्द सम्मान’, हिन्दी अकादमी का ‘साहित्यकार सम्मान’, मध्य प्रदेश साहित्य परिषद का ‘वीरसिंह जूदेव पुरस्कार’, ‘कथाक्रम सम्मान’, ‘शाश्वती सम्मान’ एवं उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान का ‘महात्मा गांधी सम्मान’ आदि।

वर्तमान में हिन्दी अकादमी, दिल्ली में उपाध्यक्ष पद पर कार्यरत रहीं।

 

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