Globe Ke Bahar Ladki

Author: Pratyaksha
Edition: 2020, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Globe Ke Bahar Ladki
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प्रत्यक्षा की कहानियों में जितनी कविता होती है, कविताओं में उतनी ही कहानी भी होती है। विधाओं का पारम्‍परिक अनुशासन तोड़कर वे एक ऐसी अभिव्यक्ति रचती हैं जिसमें कविता की तरलता भी होती है और गद्य की गहनता भी। यह अनुशासन वे किसी शौक या दिखावे के लिए नहीं, कुछ ऐसा कह पाने के लिए तोड़ती हैं जिसे किसी एक विधा में ठीक-ठीक कह पाना सम्‍भव नहीं। हिन्‍दी में गद्य कविताओं का सिलसिला पुराना है, लेकिन ज़्यादातर कवियों के यहाँ वे एक शौकिया विचलन की तरह दिखती हैं, जबकि प्रत्यक्षा का जैसे घर ही इन्हीं में बसता है। उनका अतीत, उनका वर्तमान, उनके रिश्ते-नाते, उनके जिए हुए दिन, उनके किए हुए सफ़र, सफ़र में मिले दोस्त, उस दौरान लगी प्यास, कहीं सुना हुआ संगीत, माँ की याद—यह सब इन कविताओं में कुछ इस स्वाभाविकता से चले आते हैं जैसे लगता है कि रचना के स्थापत्य में इनकी जगह तो पहले से तय थी। फिर वह स्थापत्य भी इतना अनगढ़ है कि पढ़नेवाला क़दम-क़दम पर हैरान हो। प्रत्यक्षा की रचना के परिसर में घूमना एक ऐसे घर में घूमना है जिसमें दीवारें पारदर्शी हैं, जिसके आँगन में धरती-आसमान दोनों बसते हैं, जिसके कमरे अतीत और वर्तमान की कसी हुई रस्सी से बने हैं, जहाँ ढेर सारे लोग बिल्कुल अपनी ज़‍िन्‍दा गंध और आवाज़ों-पदचापों के साथ आते-जाते घूमते रहते हैं। हिन्‍दी की इस विलक्षण लेखिका की यह कृति इस मायने में भी विलक्षण है कि अपने पाठक को वह रचना का एक बिल्कुल नया आस्वाद सुलभ कराती है—जिससे गुजऱते हुए पाठक भी अपने-आप को बदला हुआ पाता है। यह वह तिलिस्मी मकान है जिससे निकलकर आप पाते हैं कि दुनिया आपके लिए कुछ और हो गई है। यह पुस्तक प्रत्यक्षा की रचनाशीलता का ही नहीं, हिन्‍दी लेखन का भी एक प्रस्थान बिन्‍दु है।    

—प्रियदर्शन

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, Ed. 1st
Pages 160p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 20 X 13.5 X 1.5
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Pratyaksha

Author: Pratyaksha

प्रत्यक्षा

प्रत्यक्षा हिन्दी और अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखती हैं। अब तक दोनों भाषाओं में उनकी बारह किताबें छप चुकी हैं–‘जंगल का जादू तिल तिल’, ‘पहर दोपहर ठुमरी’, ‘एक दिन मराकेश’, ‘तुम मिलो दोबारा’, ‘तैमूर तुम्हारा घोड़ा किधर है’, ‘बारिशगर’, ‘ग्लोब के बाहर लड़की’, ‘नैनों बीच नबी’, ‘जाल’, ‘पारा पारा’ (हिन्दी); 'Rain Song', 'Meet Me Tomorrow' (अंग्रेज़ी)। 'Her Piece of Sky', '1984 : In Memory and Imagination', 'Other Windows : The Sangam House Reader', 'In Your Shoes', 'She Stoops To Kill' में उनकी अंग्रेज़ी कहानियाँ संकलित हैं। अंग्रेज़ी में लिखी उनकी कविताएँ 'Pyrta', ‘कृत्या’ और 'Everyday Poets' में प्रकाशित हैं। कुछ पेंटिंग्स 'The Four Quarters Magazine', ‘हंस’ और ‘कृत्या’ में प्रकाशित हैं। उनकी तीन कविताएँ 2013 में ‘रेडलीफ पोएट्री अवार्ड’ की लॉन्ग लिस्ट में शामिल रहीं और फिर वे उनकी एंथोलॉजी 'The Unsettled Winter' में प्रकाशित की गईं। 2014 में नॉर्वे के अन्तरराष्ट्रीय लिटरेचर फेस्टिवल बियोर्नसन फेस्टीवालेन में सहभागी रहीं। 2015 में संगम हाउस रेसिडेंसी की फ़ेलो रहीं।

उन्हें ‘सोनभद्र कथा सम्मान’ (2011), ‘इंडो नॉर्वेजियन पुरस्कार’ (2012), ‘कृष्ण बलदेव वैद फ़ेलोशिप’ (2013) और ‘हंस कथा सम्मान’ (2018) से सम्मानित किया गया है।

सम्प्रति : पावरग्रिड में मुख्य महाप्रबन्धक (वित्त) की हैसियत से कार्यरत।

ई-मेल : pratyaksha@gmail.com

ब्लॉग : www.pratyaksha.blogspot.com

 

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