दोस्ती की चाह अनेक देशों के नागरिकों की मातृभूमि बना हुआ सूरीनाम देश एक बहुजातीय, बहुसांस्कृतिक और बहुभासी देश है। सूरीनाम देश की राजषाभा डच है लेकिन अंग्रेज़ी, स्रानांग तोंगो, स्पेनिश, जावानीज़ और सरनामी इस देश के लोक व्यवहार और रोज़मर्रा की जीवन्त बोली-भाषाएँ हैं। इसीलिए कई देशों के निवासियों का संग्रहालय होने के कारण यह उनकी मातृभाषाओं का भी संग्रहालय
है।
सरनामी हिन्दी के प्रथम कवि जीत नाराइन ने कोलम्बिया में सन् 2001 ई. में हॉलैंड के रॉत्तर्दाम में आयोजित हुए पोयट्री इंटरनेशनल में सरनामी कवि के रूप में हिस्सा लिया। सन् 2002 ई. में कोलम्बिया में विश्व कविता सम्मेलन में सरनामी हिन्दी भाषा की कविता का प्रतिनिधित्व किया। सन् 2002 ई. में सूरीनाम देश के राष्ट्रपति श्री आर.आर. फ़ेनेत्शियान की ओर से सरनामी भाषा और साहित्य के लिए राष्ट्रपति सम्मान से अलंकृत हुए। 5 जून, 2003 ई. में सूरीनाम के आप्रवासी भारतवंशियों के एक सौ तीस वर्ष पूर्ण होने की स्मृति में आयोजित सातवें विश्व हिन्दी सम्मेलन के सम्मान-समारोह में अन्य देशों के साहित्य-सेवियों के साथ सरनामी हिन्दी भाषा और कवि के रूप में सम्मानित किए गए। इनका मानना है कि “सरनामी हिन्दी और हिन्दी की आधार शब्दावली एक-सी ही है, सिर्फ़ व्याकरण में अन्तर है...जो स्वाभाविक है। दो दिखनेवाली भाषाएँ मूलतः एक हैं, इनका स्रोत और प्राण एक ही है।”
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Publication Year | 2004 |
Edition Year | 2004, Ed. 1st |
Pages | 204p |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publisher | Rajkamal Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1.8 |