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Jit Narain

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जीत नाराइन

7 अगस्त, 1948 को सूरीनाम देश में पैदा हुए कवि जीत नाराइन ने अपने विद्यार्थी जीवन में डच और अंग्रेज़ी के साथ स्पैनिश तथा जर्मन भाषा की भी सात वर्षों तक पढ़ाई की और अपने पुरखों के संघर्ष को, सरनामी को अपनी अन्तरात्मा में विकसित करते हुए उसे अपने आचरण-जीवन की भाषा बनाया।

उन्होंने हॉलैंड में (1969-1978 ई.) चिकित्साशास्त्र का अध्ययन किया और 1979 ई. में चिकित्सक के रूप में अपना जीवन शुरू किया। डच और सरनामी हिन्दी में सतत कविताएँ लिखते रहे।

सन् 1983 ई. से सरनामी हिन्दी भाषा के प्रचार-प्रसार के लिए अकेले अपने ही संसाधनों से पाँच वर्ष तक ‘सरनामी’ पत्रिका प्रकाशित की और उसे हॉलैंड और सूरीनाम के आप्रवासी भारतवंशियों के घर-घर हाथ और डाक से पहुँचाते रहे। मातृभूमि की रक्षा और सम्मान के लिए मातृभाषा सरनामी की फ़सल उगाई और शब्दों के रूप में उसे हर घर में अनाज-सा पहुँचाया।

‘दोस्‍ती की चाह’ समेत अनेक कृतियों के लेखक जीत नाराइन ‘रहमान ख़ान पुरस्कार’, ‘भारतीय प्रवासी पुरस्कार’ (विश्व हिन्‍दी सम्मेलन), ‘ट्रेफ़ोसा पुरस्‍कार’ आदि से सम्‍मानित किए जा चुके हैं।

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