Digant Ki Oar

Translator: Sujata Shiven
Edition: 2005
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Digant Ki Oar

उम्र की ढलती साँझ में अपने गाँव में, अपने लोगों के बीच, अपने घर में रहने की इच्छा हरेक मनुष्य की होती है। ‘अपना घर’! कितना प्यारा शब्द है यह। लेकिन क्या सबको नसीब होता है। घर बनाने और बसाने में कितनी मुश्किलें आती हैं, यह किसी भी मध्यवित्त व्यक्ति का सबसे तल्ख़ और संजीदा अनुभव होता है।

‘दिगन्त की ओर’ इन्हीं अनुभवों का प्रवाहपूर्ण भाषा में औपन्यासिक विस्तार है। यह जीवन और समाज की विडम्बनाओं और विद्रूपताओं पर तो प्रकाश डालता ही है, जीवन–संध्या में बुजुर्गों की उपेक्षाओं और उम्मीदों को भी रेखांकित करता है। ओड़िया भाषा के इस महत्त्वपूर्ण उपन्यास का सुजाता शिवेन द्वारा किया सर्जनात्मक अनुवाद निश्चय ही हिन्दी पाठकों को रुचिकर और पठनीय लगेगा, ऐसा हमारा विश्वास है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Edition Year 2005
Pages 118p
Translator Sujata Shiven
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: Bipin Bihari Mishra

विपिन बिहारी मिश्र

जन्म : 1945, तालचेर (ओड़िसा)।

कर्मक्षेत्र : इलाहाबाद विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर और उत्कल विश्वविद्यालय से विधि स्नातक। 1967 में आई.पी.एस. के लिए चयन। डायरेक्टर, विजिलेंस, डी.जी., सी.आई.एस.एफ. विशेष सचिव, गृह मंत्रालय जैसे तमाम महत्त्वपूर्ण प्रशासनिक पदों पर कार्य। डायरेक्टर जनरल ऑफ़ पुलिस (ओड़िसा) भी रहे।

प्रमुख कृतियाँ : उपन्यास—‘शहरर उपकंठे’, ‘सुनंदार डायरी’ (हिन्दी में भी अनूदित), ‘दिगंतर पथे’, ‘कथा सेकालर’, ‘कथा एकालर’; कहानी-संग्रह—‘मनरमुकुर’, ‘गोमतीर शेष हस’, ‘असम्पूर्ण झंकार’, ‘बहु दिन परे’, ‘जन्म-मृत्यु ओ अन्यान्य गल्प’, ‘धुलि जमेथिबा बहिटिए’, ‘शपथ सान्तालर’, ‘मृत्यु शय्यार मानचित्र’, ‘अन्य एक कुरुक्षेत्र’; व्यंग्य—‘दारोगा साहित्यिक’, ‘हसर गोधुलि’; बाल-साहित्य—‘गर्बरू पराभव’, ‘बिचित्र जीब-जगत’, ‘बिचित्र जीब-जन्तु’ (चार खंड); निबन्ध—‘समयर सारेगामा’; रम्य रचना— ‘तिर्यक दृष्टि’।

अनुवाद : ‘यू कैन विन’ व एक अंग्रेज़ी उपन्यास ओड़िया में अनुवाद। इसके अलावा लेखक की रचनाएँ विभिन्न भाषाओं में अनूदित।

सम्मान : दैनिक आशा की ओर से ‘श्रेष्ठ प्राबंधिक’, दैनिक धरित्री की ओर से ‘श्रेष्ठ गाल्पिक सम्मान’, फल्गु साहित्य संसद ब्रह्मपुर की ओर से ‘श्रेष्ठ गाल्पिक’, ओड़िसा साहित्य अकादेमी की ओर से उपन्यास ‘शहर के हाशिए पर’ के लिए ‘अकादेमी सम्मान’, ‘वर्तिका सम्मान’, ‘कवि शेखर चिन्तामणि सम्मान’ व ‘विषुव सम्मान’, ‘प्रजापति सम्मान’, ‘श्रेष्ठ जनप्रिय विज्ञान पुस्तक सम्मान’ व ओड़िसा का सबसे प्रतिष्ठित ‘साहित्यिक सारला सम्मान’ आदि।

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