Chhaila Sandu

Edition: 2023, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Chhaila Sandu

छैला सन्दु आदिवासी समाज का एक अप्रतिम नायक है। इतिहास उसके बारे में मौन है लेकिन सन्दु और बुन्दी की प्रेमकथा मुण्डा समाज की सर्वाधिक लोकप्रिय जनश्रुतियों में से एक है। उसको सुनते-सुनाते हुए मुण्डा जन आज भी रोमांचित हो उठते हैं।
प्रकृति का अन्यतम प्रेमी छैला संगीत का असाधारण साधक भी था। उसका बाँसुरीवादन किसी को भी अवश करने में सक्षम था। बाँसुरी से उसका लगाव लोक स्मृति में इतना गहरे रचा-बसा है कि मुण्डाजन साँवले रंग, छरहरे शरीर और मानवीय गुणों से भरपूर व्यक्तित्व वाले छैला को कृष्ण का अवतार मानते हैं।
इसी छैला सन्दु की कथा इस उपन्यास में कही गई है। बुन्दी के प्रेम में पड़ना, उसके जीवन में निर्णायक साबित होता है। बुन्दी भी उसे प्रेम करने लगती है। उस पर बुन्दी को भगाने का आरोप लगता ळै। बुन्दी के पिता अपनी पुत्री की तलाश करते हुए छैला की बस्ती को उजाड़ देते हैं। अपने प्रेम के लिए छैला कोई भी कष्ट उठाने से पीछे नहीं हटता। वह बुन्दी के भविष्य के लिए अपने जीवन का उत्सर्ग करने से भी नहीं हिचकिचाता।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2004
Edition Year 2023, Ed. 3rd
Pages 315p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1
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Author: Mangal Singh Munda

मंगल सिंह मुंडा

जन्म : 28 अप्रैल, 1945; रंगरोंग, खूँटी, राँची (झारखंड)।

शिक्षा : बी.ए. (पत्राचार—उत्कल, उड़ीसा)।

प्रमुख कृतियाँ: ‘महुआ का फूल’ (कहानी-संग्रह); ‘छैला सन्दु’ (उपन्यास)।

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