Bisaat : Teen Bahanen Teen Aakhyan

Edition: 2016, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Bisaat : Teen Bahanen Teen Aakhyan
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‘बिसात : तीन बहनें तीन आख्यान’ एक अनूठी कथा-कृति है। कथा-साहित्य में विख्यात मंजुल भगत, मृदुला गर्ग और अचला बंसल तीनों सगी बहनें हैं। मंजुल भगत अब हमारे बीच नहीं हैं। मृदुला गर्ग व अचला बंसल निरन्तर सक्रिय हैं। तीनों के लेखन की पृथक् पहचान होने के बावजूद कुछ सूत्र ऐसे हैं जिन पर साझा अनुभवों के विविध रंग दिख जाते हैं। मृदुला गर्ग के शब्दों में, ‘तीनों के काफ़ी अनुभव साझा रहे। ज़िन्दगी में कितने ऐसे किरदार थे, जिनसे तीनों का साबका पड़ा। कितने ऐसे हालात थे, जिनका तीनों ने नज़ारा किया! साझा अनुभवों, किरदारों और अहसास ने हमारे भावबोध को गढ़ा और अन्य अनुभवों की तरह, वे भी कभी-न-कभी, किसी-न-किसी रूप में हमारी रचना के आधार बने। रचना जब-जब हुई, निजी अहसास से गढ़ी, मौलिक थी। हर लेखक का नज़रिया अपना अलग था। फिर भी साझा अहसास और अनुभव की गूँज, उसमें साफ़ ध्वनित होती थी। कह सकते हैं, हमने एक ही विषय पर आधारित रचना की पर रचना के दौरान, रचनात्मकता के दबाव में, रचना ने अपना विषय, कुछ हद तक बदल लिया।’ इन तीनों बहनों के बीच नाना की उपस्थिति एक ऐसा ही बहुअर्थपूर्ण अनुभव था। इस अनुभव से तीन रचनाओं ने आकार लिया। मृदुला गर्ग ने ‘वंशज’ उपन्यास रचा। मंजुल भगत ने ‘बेगाने घर में’ और अचला बंसल ने ‘कैरम की गोटियाँ’ कहानियाँ लिखीं। तीनों रचनाओं में अलग-अलग तरह से महसूस किया गया यथार्थ रचनाकारों की निजता के साथ व्यक्त हुआ। ‘बिसात : तीन बहनें तीन आख्यान’
 में वंशज, ‘बेगाने घर में’ और ‘कैरम की गोटियाँ’ एक साथ उपस्थित हैं। तीनों को एक साथ पढ़ना वस्तुतः प्रीतिकर और विचारोत्तेजक हैं। जैसे एक ही जीवन-सत्य के तीन आयाम।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2014
Edition Year 2016, Ed. 2nd
Pages 212p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Mridula Garg

Author: Mridula Garg

मृदुला गर्ग

मृदुला गर्ग के रचना-संसार में लगभग सभी गद्य विधाएँ सम्मिलित हैं। उपन्यास, कहानी, नाटक, निबन्ध, यात्रा-संस्मरण, कटाक्ष आदि।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘उसके हिस्से की धूप’, ‘वंशज’, ‘चित्तकोबरा’, ‘अनित्य’, ‘मैं और मैं’, ‘कठगुलाब’, ‘मिलजुल मन’ और ‘वसु का कुटुम’ (उपन्यास); कुल प्रकाशित कहानियाँ—90, जिनको लेकर 2003 तक प्रकाशित 8 कहानी-संग्रहों की सम्पूर्ण कहानियों की पुस्तक ‘संगति-विसंगति’ नाम से प्रकाशित; ‘एक और अजनबी’, ‘जादू का कालीन’, ‘साम दाम दण्ड भेद’, ‘क़ैद-दर-क़ैद’ (नाटक); ‘रंग-ढंग’, ‘चुकते नहीं सवाल’, ‘कृति और कृतिकार’ (निबन्ध-संग्रह); ‘मेरे साक्षात्कार’ (साक्षात्कार), ‘कुछ अटके कुछ भटके’ (यात्रा-संस्मरण); ‘कर लेंगे सब हज़म’, ‘खेद नहीं है’ (व्यंग्य-संग्रह)।

अनूदित कृतियाँ : ‘चित्तकोबरा’  ‘द जि‍फ़्लेक्टे कोबरा’ नाम से जर्मन में तथा ‘चित्तकोबरा’ नाम से अॅंग्रेज़ी में प्रकाशित। रूसी में ‘कोबरा मोएगो रज़ूमा’ नाम से अनूदित। ‘कठगुलाब’ ‘कन्ट्री ऑफ़ गुड्बाइज़’ नाम से अंग्रेज़ी में, ‘कठगुलाब’ शीर्षक से मराठी और मलयालम में और ‘वुडरोज़’ नाम से जापानी में प्रकाशित। ‘अनित्य’ ‘अनित्य हाफ़वे टु नोवेह्यर’ नाम से अंग्रेज़ी में और ‘अनित्य’ नाम से मराठी में प्रकाशित। अनेक कहानियाँ अंग्रेज़ी, जर्मन, चेक, जापानी व भारतीय भाषाओं में अनूदित। ‘मिलजुल मन’ उर्दू, पंजाबी, राजस्थानी, तमिल और तेलुगू में अनूदित। ‘मैं और मैं’ मराठी में अनूदित।

पुरस्कार/सम्मान : अनेक पुरस्कारों के साथ ‘कठगुलाब’ को ‘व्यास सम्मान’, ‘मिलजुल मन’ को ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘उसके हिस्से की धूप’ को मध्य प्रदेश का ‘अखिल भारतीय वीरसिंह सम्मान’, ‘जादू का कालीन’ को मध्य प्रदेश का ही ‘अखिल भारतीय सेठ गोविन्द दास सम्मान’।

‘कठगुलाब’ दिल्ली विश्वविद्यालय के बी.ए. पाठ्यक्रम तथा कई विश्वविद्यालयों में स्त्री-रचना/विमर्श पाठ्यक्रमों में शामिल है।

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