Bihar Per Mat Hanso

Author: Gautam Sanyal
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Bihar Per Mat Hanso

गौतम सान्याल ने अनेक विधाओं में महत्त्वपूर्ण लेखन किया है। यह तथ्य ध्यान देने योग्य है कि भाषा की व्यंजनाशक्ति उनकी रचनाशीलता का मुख्य तत्त्व है। इस तत्त्व का पूर्ण विकास गौतम सान्याल के व्यंग्य लेखन में हुआ है। ‘बिहार पर मत हँसो’ पुस्तक में उपस्थित व्यंग्य इस बात के प्रमाण हैं।

यह सच है कि व्यंग्य विधा है या नहीं, इस पर बहुत बहस हो चुकी है, फिर भी इतना मानना होगा कि व्यंग्य ने अपनी अलग सत्ता स्थापित कर ली है। गौतम इस विधा को अनूठे विषय चयन और अद्भुत भाषा-शैली के द्वारा नई अर्थवत्ता प्रदान करते हैं। व्यंग्य में परम्परागत तरीक़े से चले आ रहे लेखन को ‘पीं.पीं-एच.डी., जो मैंने नहीं की’ व ‘अहो भूत, तुम कहाँ हो’ जैसे आलेख नया मोड़ देते हैं।

कथावस्तु की दृष्टि से साहित्य, हिन्दी-समाज, सिद्धान्त, स्त्री-विमर्श, शिक्षा आदि क्षेत्रों की विसंगतियाँ लेखक की दृष्टि में हैं। भारतीय समाज की ज्वलन्त समस्याओं में से एक साम्प्रदायिकता पर ‘द न्यू मनोहर पोथी : इज दैट क्लियर टू यू’ जैसा सतर्क व रचनात्मक व्यंग्यालेख पाठक को प्रमुदित कर देता है। गौतम सान्याल के सधे वाक्य शब्दों में निहित विशेषार्थ भली प्रकार प्रस्तुत करते हैं, 'भविष्य में यह देश कहाँ जाएगा? भविष्य में यह देश कहीं नहीं जाएगा, यहीं रहेगा। इस पर भविष्य टूट पड़ेगा। तारभाषा में सार कहता हूँ, सो ध्यान से सुनो। इस देश का भविष्य एक गढ़पोखर है।’ भाषा, साहित्य और संस्कृति के विविध पक्ष संश्लिष्ट होकर इन व्यंग्यों में समाहित हैं।

समग्रत: प्रस्तुत व्यंग्य पुस्तक विधा और विन्यास दोनों क्षेत्रों में एक उपलब्धि है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2014
Edition Year 2014, Ed. 1st
Pages 152p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Gautam Sanyal

Author: Gautam Sanyal

गौतम सान्याल

जन्म : अगस्त 1956 (मधेपुरा), बिहार।

शिक्षा : एम.ए. (हिन्दी), इलाहाबाद विश्वविद्यालय।

मातृभाषाएँ : बांग्ला, हिन्दी और भोजपुरी।

प्रकाशन : हिन्दी बांग्ला की लगभग सभी प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में शताधिक रचनाएँ प्रकाशित। दो बांग्ला में और तीन पुस्तकें हिन्दी में—‘पी.जी. भौजी को प्रणाम’ (व्यंग्य-संकलन), ‘कहानी में अनुपस्थित’ (कथालोचन) और ‘कथालोचन के नए प्रतिमान’ (कथालोचन) प्रकाशित। कथालोचन, व्यंग्य, नाटक, सिनेमा व लोककलाओं में विशेष अभिरुचि।

सम्प्रति : अध्यापन।

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