Bhartiya Puralipi

Author: Rajbali Pandey
Edition: 2023, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
As low as ₹160.00 Regular Price ₹160.00
In stock
SKU
Bhartiya Puralipi
- +
Share:

पुरालिपि-शास्त्र बड़ा ही रोचक विषय है। यह लिपि के विकास का अध्ययन सम्मुख रहता है।

श्री डब्ल्यू.जी. बुहलर और महामहोपाध्याय पं. गौरीशंकर हीराचन्द ओझा के बाद पुरालिपि के क्षेत्र में अनेक महत्त्वपूर्ण खोज हुए हैं। मुअनजोदड़ों और हड़प्पा की खुदाइयों के बाद इस क्षेत्र में क्रान्तिकारी और नई स्थापनाएँ हुई हैं। इन स्थानों से प्राप्त सामग्रियों से भारतीय लेखन-कला की प्राचीनता और उसकी उत्पत्ति के सम्बन्ध में बड़ा विवाद उठ खड़ा हुआ है। इस हालत में भारतीय पुरालिपि पर एक ऐसी पुस्तक की बड़ी उपयोगिता है। इस पुस्तक ने पुरालिपि क्षेत्र के तीस वर्षों का व्यवधान पाटने का काम किया है।

प्रस्तुत पुस्तक में प्राचीन काल से सन् 1200 ई. तक भारतीय लेखन-कला का इतिहास प्रस्तुत है। विषय को सुगम बनाने के लिए क्रमबद्ध प्रकरणों में उसका विवेचन प्रस्तुत है। अन्त में आवश्यक सारणियाँ भी दी गई हैं।

पुरालिपि-शास्त्र के छात्रों, भावी शोधकर्ताओं और अनुसन्धित्सु पाठकों के लिए यह ग्रन्थ विशेष उपयोगी है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1952
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 224p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Bhartiya Puralipi
Your Rating

Author: Rajbali Pandey

राजबली पाण्डेय

जन्म : 7 मई, 1907 को देवरिया नगर से लगभग 15 किलोमीटर दूर करौनी गाँव में।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा गनियारी गाँव की प्राइमरी पाठशाला में। फिर गोरखपुर, कानपुर और वाराणसी में शिक्षा का क्रम चला। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से डॉ. अनन्त सदाशिव अल्तेकर के निर्देशन में 1936 ई. में डी.लिट्.।

कार्य : गोरखपुर के 'कल्याण' धार्मिक पत्र के सम्पादन विभाग में कुछ समय काम करने के बाद काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास और संस्कृति विभाग में अध्यापन प्रारम्भ। फिर उसी विभाग के अध्यक्ष और भारती महाविद्यालय के प्राचार्य। बाद में जबलपुर विश्वविद्यालय के प्राचीन भारतीय इतिहास, संस्कृति और पुरातत्‍त्‍व विभाग के अध्यक्ष और 'महामना मालवीय धर्म और भाषा संस्थान' के निदेशक। इसी समय प्रसिद्ध पुस्तक 'प्राचीन भारत' का प्रकाशन। 1967 में जबलपुर विश्वविद्यालय के उपकुलपति रहे।

निधन : 6 जून, 1971

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top