भारत में हर समुदाय, जनजाति और उप-समुदाय के अपने भूत-प्रेत हैं। सदियों से भूत-प्रेतों की दुनिया भारतीयों को आकर्षित करती रही है। माना जाता है कि कुछ भूत जलाशयों के पास पाए जाते हैं और वे गुपचुप आते-जाते राहगीरों पर नज़र बनाए रखते हैं, तो कुछ गर्मियों के दोपहर में खेतों में भटकते रहते हैं और रास्ता खोए हुए पुरुषों को बहकाते हैं, तो कुछ ऐसे भी हैं जो अन्य बुराइयों से हमारी रक्षा करते हैं। शिकार की तलाश में पास-पड़ोस में भटकती उत्तर भारत की चुड़ैलों से लेकर मछली पसंद करने वाले पश्चिम बंगाल के मेछो भूत और तमिलनाडु के भयानक मुनि पेई भूतों तक—भारतीय भूतों की श्रेणियाँ अत्यंत विशाल है, जिनकी संख्या का कोई आधिकारिक रिकॉर्ड मौजूद नहीं है।
कौन हैं ये घने जंगलों में विचरने वाले रहस्मयी जीव? गहरे, शांत जल की सतह के नीचे कौन से रहस्य छिपे हैं? हम इन अतृप्त आत्माओं को कैसे समझें, जिन्होंने हमारी स्मृतियों, हमारे मानस, कल्पनाओं और साहित्य में व्यापक स्थान बना रखा है?
रिकसुंदर बनर्जी भारतीय भूतों के अध्येता एवं विशेषज्ञ हैं, जो लोकप्रिय और प्रचलित किंवदंतियों, आस्थाओं, अंधविश्वासों और अनुभवों के पीछे की सच्चाई को जानने के प्रयास में भारतभर में भूत-प्रेतों की दुनिया की पड़ताल करते हैं। उनके अध्ययन और शोध का परिणाम है यह पुस्तक—जो भारत और भारतीयों को आतंकित करते भूत-प्रेतों के बारे में एक प्रामाणिक, गहन शोध-पूर्ण और रोमांचक विवरण देता है।
Language | Hindi |
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Binding | Paper Back |
Translator | Shayak Alok |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 2022 |
Edition Year | 2022, Ed. 1st |
Pages | 176p |
Publisher | Unbound Script |
Dimensions | 20 X 13 X 1 |