Bhartiya Bhakti Sahitya Mein Abhivayakt Samajik Samarasta

Literary Criticism
As low as ₹525.00 Regular Price ₹750.00
You Save 30%
In stock
Only %1 left
SKU
Bhartiya Bhakti Sahitya Mein Abhivayakt Samajik Samarasta
- +

धार्मिक और दार्शनिक दृष्टि से भक्ति साहित्य का विवेचन एवं विश्लेषण जितनी पर्याप्त मात्रा में मिलता है, उतनी पर्याप्त मात्रा में सामाजिक दृष्टि को ध्यान में रखकर किया गया विश्लेषण नहीं मिलता। उसमें भी ‘समरसता’ जैसी अधुनातन अवधारणा को केन्‍द्र में रखकर भक्ति साहित्य का विवेचन तो आज तक किसी ने नहीं किया। दूसरी बात कि समरसता की अवधारणा को लेकर लोगों में असमंजस का भाव है। उसे दूर करना भी एक युग की आवश्यकता थी। पुस्तक में इन्ही बातों को विद्वानों ने अपने शोध-आलेखों में सप्रमाण सिद्ध किया है।

पुस्तक का विषय निर्धारण करते समय इस बात पर भी विचार किया गया है कि साहित्य में भक्ति की सअजस्र धरा प्राचीन काल से लेकर आधुनिक काल तक प्रवाहित रही है, उसे मध्यकाल तक सीमित मानना तर्कसंगत नहीं। मध्यकाल के पहले और मध्यकाल के बाद भी साहित्य में हम भक्ति के बीजतत्‍त्‍वों को आसानी से फलते-फूलते देख सकते हैं। इस कारण ‘आदिकालीन भक्ति साहित्य में अभिव्यक्त सामाजिक समरसता’ और ‘आधुनिककालीन सन्‍तों और समाजसुधारकों के सहित्य में अभिव्यक्त सामाजिक समरसता’ जैसे विषय विद्वानों के चिन्‍तन व विमर्श के मुख्य केन्‍द्र में हैं।

आदिकाल से लेकर आधुनिककाल के भारतीय भक्ति साहित्य के पुनर्मूल्यांकन की दृष्टि से यह पुस्तक निस्सन्‍देह एक उपलब्धि की तरह है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2016
Edition Year 2016, Ed. 1st
Pages 344p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Bhartiya Bhakti Sahitya Mein Abhivayakt Samajik Samarasta
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

Sunil Baburao Kulkarni

Author: Sunil Baburao Kulkarni

डॉ. सुनील बाबुराव कुलकर्णी

 

एसोशिएट प्रोफ़ेसर, विभागाध्‍यक्ष, हिन्‍दी तथा अध्‍यक्ष, हिन्‍दी अध्‍ययन मंडल, कवयित्री बहिणाबाई चौधरी उत्तर महाराष्ट्र विश्‍वविद्यालय, जलगाँव।

Read More
Books by this Author

Back to Top