प्राणि मात्र के कल्याण की कामना भारतीय साहित्य और संस्कृति की अद्वितीय विशेषता रही है। इस जगत् में जो कुछ भी शुभ है, सात्विक है, श्रेष्ठ है; उनमें प्रेम तत्व सर्वोपरि है। इसके अंतर्गत तत्वज्ञान का सत्य और भावना की उपलब्धि भक्ति अन्तर्भुक्त है। भारतीय जनता की साहित्यिक साधना का सर्वोच्च निदर्शन भक्ति साहित्य में प्राप्त होता है। इसके अंतर्गत मानवीय मूल्यों पर आधारित प्रेम की दिव्यता और समस्त प्रकार के शोषण व अन्याय का विरोध करने की जीवटता मुख्यतः शामिल है। मध्यकालीन भक्ति आंदोलन से पहले यहाँ वैदिक काल से भक्ति की अंतःसलिला भारतीय प्रज्ञा व हृदय का संस्कार करती आई है। यहाँ एक ओर भागवत पुराण, नारद भक्ति सूत्र, शाण्डिल्य भक्ति सूत्र, भक्ति रसामृतसिन्धु जैसे ग्रंथ रचे गये तो दूसरी तरफ कबीर, नानक, जायसी, सूर, तुलसी और मीरां जैसे संत भक्त कवियों की अटूट श्रृंखला अखिल भारतीय स्तर पर दिखाई देती है। जीवन में संतुलन बनाए रखने के लिए हृदय और मस्तिष्क का सामंजस्य जरूरी है। उद्दाम कर्म भावना के पीछे विवेक एवं श्रद्धा का संबल जरूरी है। और यही कारण है कि यह कालजयी साहित्य आज भी अपनी अमृत स्स्रोतस्विनी से भारत ही नहीं मानव मात्र को अभिसिंचित करता आ रहा है।

 

यह पुस्तक इसी भक्ति को विभिन्न गवाक्षों से देखने का एक विनम्र प्रयास है।

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Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2024
Edition Year 2024, Ed. 1st
Pages 240p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Author: Nitesh Upadhyay

नितेश उपाध्याय

जन्म : 3 जुलाई, 1995, जौनपुर (उ.प्र.)

शिक्षा : बी.ए. (ऑनर्स) हिन्दी, काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी (उ.प्र.) एम.ए.- हिन्दी (गोल्ड मेडलिस्ट), काशी हिन्दू विश्वविद्यालय, वाराणसी (उ.प्र.), राष्ट्रीय पात्रता परीक्षा: जे. आर.एफ., नई दिल्ली से अर्जित।

साहित्य-सेवा : स्वातंत्र्योत्तर कविता: नयी जमीन एवं नये स्वर, मध्यकालीन हिन्दी कविता : अवधारणा और स्वरूप (सह-सम्पादन), लोक साहित्य : विस्तार और अभिव्यक्ति के आयाम (सह-संपादन), राष्ट्रीय / अन्तर्राष्ट्रीय शोध जर्नलों में अनेक शोध-पत्र प्रकाशित।

सम्प्रति : भारतीय भाषा केन्द्र, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय, नई दिल्ली से समकालीन हिन्दी कविता: प्रवृत्ति निर्धारण और आलोचना विषय पर शोधरत ।

-मेल : nupadhyay200@gmail.com

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