Bhadrapad Ki Sanjh

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रवीन्द्रनाथ त्यागी ने न तो शुद्ध हास्य लिखा, न शुद्ध व्यंग्य और न शुद्ध ललित-निबन्ध। तीनों की मिली-जुली विशेषताओं को लेकर उन्होंने अपने ख़ास रंग को शोख़ व चटख बनाया। उनके लेखन से जो आनन्द मिलता है, वह इधर के बहुत सारे लेखन से नहीं मिलता। जो लेखन एक ‘ज्वॉय’ दे, एक ‘एक्सटेसी’ दे, उसकी अहमियत से इनकार नहीं किया जा सकता। वैसे भी जितना वैविध्य रवीन्द्रनाथ त्यागी में है, उतना उनके समकालीन किसी भी व्यंग्यकार के पास नहीं है।

—डॉ. धनंजय वर्मा

रवीन्द्रनाथ त्यागी को पढ़ना मुश्किल है क्योंकि बीच-बीच में हँसना पड़ता है। मुझे हँसते देखकर घर के सयाने बच्चे और विद्वान् अनुसन्धित्सु मेरी हँसी उड़ाते हैं और पुस्तक को मेरे हाथ से छीनकर पढ़ने लगते हैं। जब वे भी हँसने लगते हैं तो मैं इस शून्यकाल का फ़ायदा उठाकर पुस्तक फिर पढ़ने लगता हूँ। त्यागी जी की भाषा नटखट, प्रभावशाली व सुखकारी है। मैं उनके साहित्य को व्यंजना-कौशल की बारीकियों की दृष्टि से ‘व्यंग्य’ कहता हूँ। उन्होंने साहित्य का गम्भीर अध्ययन किया है और बुहमुखी सन्दर्भशीलता भी उनके साहित्य में है। ‘व्यंग्य’ का मूलतत्त्व है भाषा में अभिव्यंजना की एक विशेष शक्ति पैदा करना। रवीन्द्रनाथ त्यागी तथा श्रीलाल .शुक्ल के अतिरिक्त किसी और हिन्दी-व्यंग्यकार के पास अध्ययन-गर्भित प्रजातीय संस्कृति की भाषा-संश्लिष्टता और बहुविद्या के साथ-साथ शब्द-मुद्रा में विशेष प्रकार की ध्वनि उत्पन्न करते हुए कथन-काक के द्वारा व्यंग्य उत्पन्न करने की क्षमता नहीं है।

—डॉ. शुकदेव सिंह

रवीन्द्रनाथ त्यागी का गद्य मुझे अच्छा ही नहीं, वरन् बहुत अच्छा लगता है। उनके लेखन में व्यंग्य व लालित्य—दोनों हैं। उनके अनुभव का आयाम बहुत विस्तृत है। मैं तो चाहता हूँ कि इसी शैली में वे अपनी आत्मकथा लिखें।

—डॉ. कुबेरनाथ राय

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1996
Edition Year 1996, Ed. 1st
Pages 228p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18.5 X 12.5 X 1.5
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Ravindranath Tyagi

Author: Ravindranath Tyagi

रवीन्द्रनाथ त्यागी

यशस्वी व्यंग्यकार और समर्थ कवि रवीन्द्रनाथ त्यागी का जन्म 1 सितम्बर, 1931 को उ.प्र. के बिजनौर ज़िले में स्थित नहटौर नामक क़स्बे में हुआ। भयंकर ग़रीबी के कारण बचपन में उन्होंने मात्र संस्कृत ही पढ़ी और बाद में किसी तरह इलाहाबाद यूनिवर्सिटी से एम.ए. की परीक्षा में सर्वप्रथम स्थान पाया। उसके बाद वे देश की सर्वोच्च सिविल सर्विसेज़ की प्रतियोगिता में बैठे और इंडियन डिफ़ेंस एकाउंट्स सर्विस के लिए चुने गए। सन् 1989 में वे कंट्रोलर ऑफ़ डिफ़ेंस एकाउंट्स के पद से सेवानिवृत्त हुए।

लिखने का शौक़ उन्हें बचपन से था। अब तक छह कविता-संग्रह, उन्नीस व्यंग्य-संग्रह और विशिष्ट रचनाओं के चार संकलन प्रकाशित। ‘उर्दू-हिन्दी हास्य-व्यंग्य’ नामक महत्त्वपूर्ण ग्रन्थ का सम्पादन।

डॉ. कमलकिशोर गोयनका द्वारा सम्पादित ‘रवीन्द्रनाथ त्यागी : प्रतिनिधि रचनाएँ’ नामक विशद ग्रन्थ अलग से प्रकाशित।

सम्मान : ‘सरस्वती सम्मान, ‘शरद जोशी सम्मान’, ‘हरिशंकर परसाई पुरस्कार’, ‘चकल्लस पुरस्कार’, ‘टेपा पुरस्कार’, ‘व्यंग्यश्री पुरस्कार’ आदि से सम्मानित।

निधन : 4 सितम्बर, 2004

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