Balkrishna Bhatt ke Shrestha Nibandh-Paper Back

ISBN: 9788180315848
Edition: 2011, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
Special Price ₹112.50 Regular Price ₹125.00
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भट्टजी की प्रमुख चिन्ता भारतेन्दु की ‘स्वत्व निज भारत लाह’ या देशवत्सलता ही नहीं, बल्कि मुल्क की तरक़्क़ी और देशत्वाभिमान भी था। उनकी चिन्ता थी कि देश की अस्मिता की रक्षा कैसे की जाए। देशत्व रक्षा का उपाय क्या है। एक ओर वे नई तालीम के पक्षधर थे, क्योंकि यह अन्ध धार्मिकता, काहिली और भेदभाव को दूर करती थी, दूसरी ओर इसके चरित्र के विरोधी थे, क्योंकि यह ग़ुलामी को औचित्यपरक बनाती थी। वे आर्यों के बाहर से आने के सिद्धान्त को स्वदेशाभिमान को समाप्त करने की युक्ति मानते थे। इस पैनी दृष्टि के अनेक प्रमाण इस पुस्तक में है।

भट्टजी के लेखों में नृतत्वशास्त्र के उदाहरण मिलते हैं। हिन्दी साहित्य के इतिहास के अति प्रचारित नवजागरण के प्रवर्तकों से बहुत पहले निर्भय होकर वैचारिक ऊर्जा उत्पन्न करने और देश की तरक़्क़ी में उस ऊर्जा के उपयोग का सजग प्रयत्न भट्टजी ने किया है। उन्होंने सांस्कृतिक जागरण और लोकजागरण को राजनैतिक सजगता से कभी अलग नहीं किया, बल्कि इन्हें एक चक्रीय ही माना। इस व्यापक विचारवृत्त के अन्तर्गत ही उनके साहित्यिक प्रतिमान विकसित हुए जैसे साहित्य जनसमूह के हृदय का विकास है। सच तो यह है कि सैद्धान्तिक और व्यावहारिक आलोचना के लेखों को संकलित किया जाए तो स्वतंत्र स्तवक बन जाएगी। इसमें ऐसे अनेक लेख संकलित हैं।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2011
Edition Year 2011, Ed. 1st
Pages 210p
Price ₹125.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 20.5 X 13.5 X 1
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Satyaprakash Mishra

Author: Satyaprakash Mishra

सत्यप्रकाश मिश्र

जन्‍म : 25 जून, 1945 को ज़िला—सुल्तानपुर, (उ.प्र.) के एक क़स्बा दोस्तपुर में।

शिक्षा : प्रारम्भिक शिक्षा दोस्तपुर से ही। बी.ए., एम.ए. और डी.फ़िल., इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद से।

इलाहाबाद डिग्री कॉलेज, इलाहाबाद से अध्यापन की शुरुआत। सन् 1979 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय में आ गए। यहीं हिन्दी विभाग में आचार्य एवं अध्यक्ष के पद पर कार्य। टोक्यो विश्वविद्यालय, जापान में विजिटिंग प्रोफ़ेसर रहे, मन नहीं रमा बीच में ही छोड़कर चले आए। लेपजिंग विश्वविद्यालय, जर्मनी एवं कैथोलिक विश्वविद्यालय, बेल्जियम में विजिटंग प्रोफ़ेसर के रूप में बुलाए गए, परन्तु नहीं गए।

प्रमुख कृतियाँ : ‘यह पथबन्धु का अध्ययन’, ‘रीति-काव्य : प्रकृति एवं स्वरूप’, ‘कवि शिक्षा की परम्परा’, ‘आलोचक और समीक्षाएँ’, ‘मध्यकालीन काव्य आन्दोलन-2’, ‘काव्य-भाषा पर तीन निबन्ध—सहलेखन’; सम्पादन—‘प्रसाद ग्रन्थावली’, ‘गोदान का महत्त्व’, ‘प्रेमचन्द की कहानियाँ’, ‘कहानीकार ज्ञानरंजन’, ‘बालकृष्ण भट्ट : प्रतिनिधि संकलन’, ‘भारतेन्दु के श्रेष्ठ निबन्ध’, ‘बालकृष्ण भट्ट के श्रेष्ठ निबन्ध’, ‘प्रेमचन्द के श्रेष्ठ निबन्ध’, ‘सृजन-परिवेश’, ‘महावीरप्रसाद द्विवेदी और हिन्दी पत्रकारिता’, ‘रचना और आलोचना’, ‘सुमित्रानन्दन पंत : व्यक्ति और काव्य’, ‘अज्ञेय और तारसप्तक’, ‘अव्यय,’, ‘आलोचना और बौद्धिकता’, ‘सूचना प्रौद्योगिकी और सृजनशीलता’; पत्रिकाओं का सम्पादन : ‘माध्यम’ का पुनर्जीवन एवं सम्पादन’, ‘वर्तमान साहित्य-आलोचना विशेषांक’ का सम्पादन’, भारतीय उच्च अध्ययन संस्थान, शिमला की पत्रिका ‘चेतना’ का सम्पादन।

विशेष : मानद निदेशक, इलाहाबाद संग्रहालय, इलाहाबाद; मानद पुस्तकालयाध्यक्ष, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, इलाहाबाद; साहित्य मंत्री, हिन्दी साहित्य सम्मेलन, प्रयाग; अध्यक्ष, व्यास सम्मान चयन समिति; संयोजक, ‘सरस्वती सम्मान’, के.के. बिड़ला फ़ाउंडेशन, नई दिल्ली; सदस्य, मंगला प्रसाद पुरस्कार समिति, उ.प्र. हिन्दी संस्थान।

सम्मान : उ.प्र. हिन्दी संस्थान के ‘साहित्य भूषण सम्मान’ 2006 से सम्मानित।

निधन : 27 मार्च, 2007

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