Anoopkaur

Edition: 2007
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Anoopkaur

इतिहास बताता है कि सिख गुरुओं ने स्त्रि‍यों को पुरुषों के समान हैसियत के उपदेश ही नहीं दिए, बल्कि उनके सामाजिक जीवन को भी सम्मानजनक स्थितियाँ दीं। बीबी अनूप कौर का नाम भी ऐसी ही वीरांगना महिलाओं में आता है जि‍न्होंने समय आने पर जंग के मैदानों में अपनी बहादुरी और हि‍म्मत का परिचय दि‍या।

अनूप कौर का जन्म 1690 में अमृतसर के पास एक गाँव में हुआ था। उनके पि‍ता सोढ़ी ख़ानदान की उस शाखा से जुड़े थे जो गुरु तेग बहादुर के साथ थी। अनूप कौर की उम्र तब सि‍र्फ़ पाँच साल थी जब वे अपने परिवार के साथ आनन्दपुर चली गई थीं। वहाँ वे गुरु गोवि‍न्द सिंह के बेटों के साथ खेलते हुए बड़ी हुईं। वहीं उन्होंने धार्मि‍क और सैनि‍क शि‍क्षा भी पाई।

1699 में जब गुरु गोवि‍न्द सिंह ने सन्त-योद्धाओं को दीक्षा दी तब उन्होंने भी अपने पि‍ता के साथ दीक्षा पाई जि‍सने हमेशा के लि‍ए उनके जीवन और रहन-सहन को बदल दि‍या। उन्होंने सि‍पाहियों के परिवारों की देख-रेख के साथ युद्ध में उन्हें रसद पहुँचाने से लेकर शत्रुओं से लड़ने तक अत्यन्त वीरता का परिचय दि‍या।

उनके जीवन का अन्त मुग़लों की क़ैद में हुआ जहाँ उन्हें धर्म-परिवर्तन करके मलेर कोटला के शाह से शादी करने के लि‍ए मजबूर कि‍या गया, लेकिन इससे पहले कि उनकी यह मंशा पूरी होती, अनूप कौर ने ख़ंजर से अपनी जान दे दी। यह उपन्यास इसी वीरांगना की कथा है।

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Language Hindi
Binding Paper Back
Edition Year 2007
Pages 177p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
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Author: Harman Dass Sahrai

हरनाम दास सहराई

हरनाम दास सहराई ने कई ऐतिहासिक उपन्यास लिखे हैं। ‘लोहगढ़’, ‘हरी मन्दिर’, ‘डाची’, ‘तेविवां चाँद’ आदि सहराई की प्रमुख रचनाएँ हैं।

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