Akhilesh : Ek Samvad

Interview
Author: Piyush Daiya
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Akhilesh : Ek Samvad
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भारतीय कला के व्यापक क्षेत्र में, और हिन्‍दी में तो बहुत कम, ऐसा हुआ है कि कोई कलाकार अपनी कला, संसार की कला, परम्‍परा, आधुनिकता आदि पर विस्तार से, स्पष्टता से, गरमाहट और उत्तेजना से बात करे और उसे ऐसी सुघरता से दर्ज किया जाए। चित्रकार अखिलेश इस समय भारत के समकालीन कला-दृश्य में अपनी अमूर्त कला के माध्यम से उपस्थित और सक्रिय हैं। उनकी बातचीत से हिन्‍दी में समकालीन कला-संघर्ष के कितने ही पहलू ज़ाहिर होते हैं। पीयूष दईया एक कल्पनाशील सम्‍पादक, कवि और सजग कलाप्रेमी हैं। उनकी उकसाहट ने इस बातचीत में उत्तेजक भूमिका निभाई है।....

ऐसी अनेक जगहें इस बातचीत में हैं जहाँ बतरस के सुख के साथ-साथ कुछ नया या विचारोत्तेजक जानने को मिलता है। हमारे समय में कला को तथाकथित सामाजिक यथार्थ के प्रतिबिम्बन और अन्वेषण के रूप में देखने की जो वैचारिकी उसके प्रतिबिन्‍दु, प्रतिरोध की तरह उभरती है, इस पुस्तक का महत्त्व इससे और बढ़ जाता है। वह एक अपेक्षाकृत जनाकीर्ण परिदृश्य में वैकल्पिक कला और सौन्दर्यबोध के लिए जगह खोजती और बनाती है। उसकी दिलचस्पी किसी को अपदस्थ करने में नहीं है : वह तो अपनी जगह की तलाश करती और फिर उस पर रमने की ज़‍िद से उपजी है।

—अशोक वाजपेयी

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2010
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 204p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 21 X 2
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Editorial Review

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Piyush Daiya

Author: Piyush Daiya

पीयूष दईया

जन्म : अगस्त 1972; बीकानेर (राजस्थान)।

एक कविता-संग्रह, एक काव्य-कथा और अनुवाद की दो पुस्तकें।

चार चित्रकारों के साथ पुस्तकाकार संवाद।

साहित्य, संस्कृति, विचार, रंगमंच, कला और लोक-विद्या पर एकाग्र पाँच पत्रिकाओं और पच्चीस से अधिक पुस्तकों का सम्पादन।

सम्प्रति : रज़ा फ़ाउंडेशन की एक परियोजना ‘रज़ा पुस्तक माला’ से सम्बद्ध।

 

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