Agam Bahai Dariyav

Author: Shivmurti
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Agam Bahai Dariyav
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कृषिप्रधान कहे जाने वाले देश भारत का एक आम किसान जिसके पास सौ-दो सौ बीघा जमीन, लाइसेंसी बन्दूकें-राइफलें और पुलिस-फौज में नौकरी पाए बेटे नहीं हैं, अपने दुख में अकेला और असहाय एक ऐसा जीव है, जो लगता है पूरी व्यवस्था का देनदार है। राजनीति के लिए वोट-बैंक और नौकरशाही के लिए एक दुधारू गाय।

थाने, तहसीलें, अदालतें, अमीन, पटवारी, वकील, गन्ना मिलें, आढ़ती, कर्जे और खर्चे, राजनीति और नौकरशाही, ये सब मिलकर एक ऐसा महाजाल बुनते हैं जिसके निशाने पर किसान ही होता है। यह अगम दरियाव उसी भारतीय किसान के दुखों का है, बेशक उसकी वह ताकत भी यहाँ मौजूद है जो राष्ट्रीय उपेक्षा के आखिरी सिरे पर पड़े रहने के बावजूद उसे बचाए हुए है—उसकी संस्कृति, उसकी मनुष्यता और उसका जीवट।   

शिवमूर्ति हमारे समय के ग्रामीण जीवन के समर्थ किस्सागो हैं, और ‘अगम बहै दरियाव’ उनकी अनुभव-सम्पदा और कथा-कौशल का शिखर है। कल्याणी नदी के कंठ पर बसे बनकट गाँव की इस कथा में समूचे उत्तर भारत के किसानों और मजदूरों की व्यथा समोयी हुई है। इस दुनिया में सब शामिल हैं—अगड़े, पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक सब। और सब इसमें बराबर के हिस्सेदार हैं। जिन्दगी के विविध रंगों, छवियों और गीत-संगीत से समृद्ध इस उपन्यास में ‘लोक’ की छटा कदम-कदम पर दृश्यमान है, और ग्रामीण जीवन की शान्त सतह के नीचे खदबदाती लोभ-लालच, प्रेम-प्यार, छल-प्रपंच और त्याग-बलिदान की धाराएँ भी जो जमाने से बहती आ रही हैं।

कथा-साहित्य में लम्बे समय से अनुपस्थित किसान को यह उपन्यास वापस एक त्रासदी-नायक के रूप में केन्द्र में लाता है। देश के नीति-नियंता चाहें तो इस आख्यान को एक ‘ग्राउंड रिपोर्ट’ की तरह भी पढ़ सकते हैं।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2023
Edition Year 2023, Ed. 1st
Pages 592p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 3.5
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Shivmurti

Author: Shivmurti

शिवमूर्ति

कथाकार शिवमूर्ति का जन्म मार्च, 1950 में सुल्तानपुर (उत्तर प्रदेश) जि़ले के गाँव कुरंग में एक सीमान्त किसान परिवार में हुआ। पिता के गृहत्यागी हो जाने के कारण शिवमूर्ति को अल्प वय में ही आर्थिक संकट तथा असुरक्षा का सामना करना पड़ा। इसके चलते मजमा लगाने और जड़ी-बूटियाँ बेचने जैसे काम भी उन्हें करने पड़े।

कथा-लेखन के क्षेत्र में प्रारम्भ से ही प्रभावी उपस्थिति दर्ज करानेवाले शिवमूर्ति की कहानियों में निहित नाट्य सम्भावनाओं ने दृश्य-माध्यमों को भी प्रभावित किया। कसाईबाड़ा, तिरिया चरित्तर, भरतनाट्यम तथा सिरी उपमाजोग पर फ़िल्में बनीं। तिरिया चरित्तर, कसाईबाड़ा और भरतनाट्यम के हज़ारों मंचन हुए। अनेक देशी-विदेशी भाषाओं में रचनाओं के अनुवाद हुए। साहित्यिक पत्रिकाओं यथा—मंच, लमही, संवेद तथा इंडिया इनसाइड ने इनके साहित्यिक अवदान पर विशेषांक प्रकाशित किए।

प्रकाशित पुस्तकें :

कहानी-संग्रह : केसर कस्तूरी, कुच्ची का क़ानून; उपन्यास : त्रिशूल, तर्पण, आख़िरी छलाँग; नाटक : कसाईबाड़ा, तिरिया चरित्तर, भरतनाट्यम; सृजनात्मक गद्य : सृजन का रसायन; साक्षात्कार : मेरे साक्षात्कार (सं. : सुशील सिद्धार्थ)।

प्रमुख सम्मान : तिरिया चरित्तर कहानी 'हंस’ पत्रिका द्वारा सर्वश्रेष्ठ कहानी के रूप में पुरस्कृत। ‘श्रीलाल शुक्ल स्मृति इफको साहित्य सम्मान’, 'आनन्दसागर स्मृति कथाक्रम सम्मान’, 'लमही सम्मान’, 'सृजन सम्मान’ एवं 'अवध भारती सम्मान’।

सम्पर्क  : 'सबद’, 2/325, विकास खंड, गोमती नगर, लखनऊ-226010 (उ.प्र.)।

ई-मेल : shivmurtishabad@gmail.com

वेबसाइट : www.shivmurti.com

 

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