1857 Ke Amar Nayak Raja Jailal Singh

Author: Pratap Gopendra
Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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1857 Ke Amar Nayak Raja Jailal Singh
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अखण्ड राष्ट्र के रूप में संगठित होने के पूर्व भारतवर्ष ने साहस एवं उत्सर्ग की अनगिनत परीक्षाएँ दी हैं। धीरोदात्त वीरों ने सैकड़ों वर्षों की आततायी शोषणकारी राज्य व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने के लिए अदम्य संघर्ष किये हैं। इन संघर्षो को इतिहास के अनेक स्वनाम-गुमनाम नायकों ने शक्ति एवं नेतृत्व प्रदान किया है। सूचना क्रान्ति के इस युग में ऐसी शख्सियतों व उनकी अमर कृतियों की खोज कर दिग‍्-दिगन्त तक उनका उद्घोष किया जाना चाहिए, जिससे युवा पीढ़ी को जीवन संघर्ष में अडिग रहने की प्रेरणा तो मिले ही, स्वतन्त्रता का मूल्य भी उनके हृदयों में दृढ़ता से स्थापित हो सके। 1857 के प्रथम स्वतंत्रता संग्राम में राजा जयलाल सिंह ऐसे ही देदीप्यमान नक्षत्र हैं जिन्हें समय के बादलों ने आच्छादित कर रखा है। सत्तावनी क्रान्ति का एक ऐसा किरदार जिसने ब्रिटिश हुकूमत के विरुद्ध व्यक्तिगत शौर्य का परिचय देते हुए न केवल प्रत्यक्ष युद्ध लड़े वरन सम्पूर्ण भारतवर्ष में क्रान्तिकारियों की आश्रयस्थली बने शहर लखनऊ में पूरे युद्ध-तन्त्र का संचालन व प्रबन्धन करते हुए अन्तिम नवाबी सरकार के मन्दराचल को कूर्मावतार बन अपनी पीठ पर धारण किया। स्वतन्त्र भारत का भव्य प्रासाद नींव के जिन कीर्त्ति स्तम्भों पर खड़ा है, निःसन्देह राजा जयलाल सिंह उनमें से एक हैं।

यह पुस्तक उनके व्यक्तित्व एवं उत्सर्गपूर्ण कृतित्वों को जानने-समझने का एकमात्र प्रामाणिक दस्तावेज है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 176p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
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Pratap Gopendra

Author: Pratap Gopendra

प्रताप गोपेन्द्र यादव

जन्म : 12 मई 1982, ग्राम फत्तनपुर, ज़िला आज़मगढ़, उ.प्र.।

शिक्षा : बी.एस-सी, परास्नातक प्राचीन इतिहास

गतिविधियाँ : भारतीय पुलिस सेवा में रहते हुए विभिन्न संस्थाओं में समय-समय पर वक्तव्य तथा विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में अब तक लगभग 100 लेख प्रकाशित। लखनऊ विश्वविद्यालय में प्राचीन इतिहास में शोधरत।

साहित्य-सेवा : फत्तनपुर : मेरा गाँव मेरे लोग, मारीच पथ (कहानी-संग्रह) एवं इतिहास के दुर्लभ दस्तावेज प्रकाशनाधीन।

पुरस्कार : ‘इतिहास के आईने में आजमगढ़’ पुस्तक पर उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान द्वारा वर्ष 2020 के आचार्य नरेन्द्र देव पुरस्कार से सम्मानित।

सम्प्रति : सेनानायक, चतुर्थ वाहिनी पी.ए.सी., प्रयागराज।

ई-मेल : pgyadav81@gmail.com

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