Yugantar Ke Phool

Edition: 2014, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
15% Off
Out of stock
SKU
Yugantar Ke Phool

युगान्तर के फूल’ में युग-युग का अन्तर जतलाने की तहज़ीब है। व्यक्तित्व की प्रधानता के कारण ख़ास कालखंड को उस व्यक्तित्व का नाम देकर युग को सम्बोधित करने की परिपाटी है कि वह अमुक युग था या यह अमुक युग चल रहा है।

‘युगान्तर के फूल’ में दस लम्बी कविताएँ हैं। सभी कविताएँ अलग-अलग भावभूमि की हैं, जिनमें देखी-समझी-भोगी अनुभूतियों के अलावा वर्तमान विसंगतियों और ज़रूरतों का समावेश भी हैं।

‘युगान्तर के फूल’ ऐसे विषय से सम्बन्धित है, जो काव्य-रचना की परम्परा में सर्वस्वीकृत नहीं माने जा सकते। इसकी स्वीकार्यता के ख़तरे को जानते हुए भी मैंने जोखिम उठाया है। मैं साहित्य की समृद्धि के लिए ऐसे जोखिम को आवश्यक मानता हूँ। यदि पाठक ऐसे विषयों पर लिखी कविताओं को साहित्य की समृद्धि एवं दीन-दुखियों की सेवा के लिए अपरिहार्य मानें तो मैं उन्हें भरोसा दे सकता हूँ कि इस दिशा में अभिनवपन की ख़ुराक उन्हें भविष्य में भी मिलेगी।

यों भी विज्ञान और प्रौद्योगिकी ने लेखकों को चुनौती दे रखी है कि अब नई पीढ़ी को अद्यतन जानकारी से सहज-सरल तरीक़ों से अवगत कराओ। ग्राह्य और विषयगत बनाने की जवाबदेही लेखक बिरादरियों की है। पुरातन परम्पराएँ बदलाव के साथ अपना विकास चाहती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2014
Edition Year 2014, Ed. 1st
Pages 168P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Yugantar Ke Phool
Your Rating
Kumar Mithilesh Prasad Singh

Author: Kumar Mithilesh Prasad Singh

कुमार मिथिलेश प्रसाद सिंह

जन्म : 11 अक्टूबर, 1968

शिक्षा : बी.एस-सी. ऑनर्स (रसायनशास्त्र)।

प्रमुख कृतियाँ : ‘युगान्तर के फूल’, (कविता-संग्रह); ‘मुर्दालोक’ (कहानी-संग्रह)।

अभिरुचि : लेखन, पाक-कला, दलितों-दमितों-शोषितों के उत्पीड़न के विरुद्ध बुलन्दी के साथ खड़े रहने की आकांक्षा से परिचालित। जन-सरोकारों और जन-समस्याओं के निपटारे से सम्बन्धित कार्यों में गहरी अभिरुचि। तृणमूल सूचक लोगों की सेवा में ख़ुद को व्यस्त रखना एक आवश्यक निजी टास्क।

 

 

 

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top