‘यह शरीफ़ लोग’ की लेखिका रज़िया सज्जाद ज़हीर उर्दू की लब्धप्रतिष्ठ कथाकारों में हैं। उनकी अनेक कहानियाँ और उपन्यास साहित्य-जगत में अपना विशिष्ट स्थान रखते हैं। रज़िया सज्जाद ज़हीर अपनी स्पष्ट एवं स्वतंत्र विचारधारा के लिए विख्यात थीं। उन्होंने उर्दू-हिन्दी भाषिक समस्या के समाधान के लिए उर्दू को नागरी लिपि धारण करने की सलाह दी थी, जिसे सिद्धान्त रूप में स्वीकारने के बावजूद रूढ़िवादियों ने विवाद का विषय बना लिया था, किन्तु प्रस्तुत यथार्थ के खंडन के लिए तर्क न दे सके।

‘यह शरीफ़ लोग’ में उन्हें निर्भीक, स्वतंत्र, समाजवादी, मानववादी रज़िया सज्जाद ज़हीर का परिचय मिलता है, जो समाज के विभिन्न वर्गों के जीवन एवं मान्यताओं का विश्लेषण करके उसे अपनी अनुभूति के आधार पर प्रस्तुत करती हैं। आर्थिक असमानताएँ उत्पन्न विषमताओं का पर्दाफ़ाश करती हैं, और मानव-जीवन की मूल समस्याओं की ओर सहज ही ध्यान आकृष्ट करती हैं।

‘यह शरीफ़ लोग’ का परिवेश मध्यवर्गीय एवं निम्नवर्गीय मुस्लिम परिवारों से सम्बन्धित है जिनकी मान्यताओं में परस्पर द्वन्द्व हैं, परन्तु उनमें एक-दूसरे को अस्वीकारने का साहस नहीं। दोनों पूरक के रूप में एक-दूसरे को योग देते हैं तथा साथ-साथ जीवन-यापन करते हैं, किन्तु जब अत्याचारों का प्याला भर जाता है, तो छलक उठता है और शोषित वर्ग कठोर अन्याय के विरुद्ध संघर्षशील हो उठता है।

‘यह शरीफ़ लोग’ की भाषा सीधे व्यवहार की भाषा है। मुस्लिम परिवारों, विशेषकर महिलाओं की बातचीत अत्यन्त स्वाभाविक रूप में प्रस्तुत हुई है। जीवन्त पात्रों एवं कथानक की रोचकता ने प्रस्तुत उपन्यास को नैसर्गिक बना दिया है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2007
Edition Year 2007, Ed. 1st
Pages 204p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 18 X 12 X 1
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Author: Razia Sajjad Zahir

रज़िया सज्जाद ज़हीर

 

रजिया सज्जाद जहीर उर्दू की कहानी लेखिका हैं। इनका जन्म 15 फरवरी, सन् 1917 को राजस्थान के अजमेर शहर में हुआ था। रजिया ने आरम्भिक शिक्षा से लेकर कला स्नातक तक की शिक्षा घर पर रहकर ही प्राप्त की। इसके बाद उनका विवाह सज्जाद ज़हीर नामक साम्यवादी (कम्यूनिस्ट) से हुआ। विवाह के बाद उन्होंने इलाहाबाद से उर्दू में स्नातकोत्तर की परीक्षा उत्तीर्ण की।

सन 1947 में वे अजमेर से लखनऊ आईं और वहाँ करामत हुसैन गर्ल्स कॉलेज में पढाने लगीं। सन् 1965 में उनकी नियुक्ति सोवियत सूचना विभाग में हुई।

उनका निधन 18 दिसबर, 1979 को हुआ।

उर्दू साहित्य

आधुनिक उर्दू कथा-साहित्य में रजिया ने महत्वपूर्ण स्थान बनाया है। ये कहानी और उपन्यास दोनों ही लिखा करती थीं और साथ ही उर्दू में बाल-साहित्य की रचना भी की है। मौलिक सर्जन के साथ-साथ उन्होंने कई अन्य भाषाओं से उर्दू में कुछ पुस्तकों के अनुवाद भी किए हैं। रजिया की भाषा सहज, सरल होने के साथ साथ ही मुहावरेदार भी हुआ करती थी। उनकी कुछ कहानियाँ देवनागरी में भी लिप्यंतरित हो चुकी हैं।

रजिया सज्जाद जहीर की कहानियो में सामाजिक यथार्थ और मानवीय गुणों का सहज सामंजस्य मिलता था और यही उनकी कहानियों की विशेषता है। उनकी कहानियों की मात्रा सहज सरल होने के साथ ही मुहावरेदार हुआ करती थी।

प्रमुख रचनाएँ

जर्द गुलाब (उर्दू कहानी संग्रह)

प्रमुख कहानियां

मेहमान रहमत या जहमत

ज़र्द गुलाब

सुल्तान सलाहउद्दीन बादशाह

सम्मान

इन्हें बहुत से सम्मान एवं पुरस्कार मिले जिनमें से कुछ का उल्लेख इस प्रकार से है:

सोवियत लैंड नेहरू पुरस्कार,

उर्दू अकादमी, उत्तर प्रदेश,

अखिल भारतीय लेखिका संघ अवार्ड।

मुसंनाफीन अवार्ड

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