Television KI Bhasha

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अनुमान के मुताबिक़ हिन्दी में लगभग एक लाख पैंतालीस हज़ार शब्द हैं, लेकिन हिन्दी टेलीविज़न पत्रकारिता के लिए महज़ पन्द्रह सौ शब्दों की जानकारी ही काफ़ी है

यानी अगर आपने इतने शब्दों की जानकारी हासिल कर ली तो यक़ीन मानिए, आप भाषा के लिहाज़ से हिन्दी के अच्छे टेलीविज़न पत्रकार तो ज़रूर बन जाएँगे। अफ़सोस की बात है कि ये जानकारी भी टेलीविज़न पत्रकारों को भारी लगती है। शब्दों की सही समझ की कमी, भाषा के आधे–अधूरे ज्ञान की वजह से टेलीविज़न पत्रकार ऐसी ग़लतियाँ कर बैठते हैं कि कई बारगी मज़ाक़ का पात्र तक बन जाते हैं। यही नहीं, शब्दों के ग़लत इस्तेमाल से अर्थ का अनर्थ तक हो जाता है। इसलिए पत्रकारिता के लिहाज़ से भाषा की सही जानकारी बेहद ज़रूरी है।

हिन्दी न्यूज़ चैनलों की दुनिया भले ही समय के साथ काफ़ी व्यापक होती चली गई हो, लेकिन हक़ीक़त यही है कि आज भी टीवी पत्रकारिता में भाषा को लेकर एक भी ऐसी किताब नहीं है, जो भाषा और पत्रकारिता को जोड़ते हुए एक मुकम्मल जानकारी दे सके। यही परेशानी टीवी पत्रकारिता की पढ़ाई करनेवाले छात्र–छात्राओं के साथ है। हिन्दी के प्रोफ़ेसर ही पत्रकारिता के बच्चों को भी पढ़ाते हैं, ऐसे में पत्रकारिता की भाषा का व्यावहारिक ज्ञान कभी भी विद्यार्थियों को सही से नहीं हो पाता और इसका ख़मियाज़ा टेलीविज़न पत्रकारिता को होता है।

टेलीविज़न की अपनी एक अलग ही दुनिया होती है। इसकी भाषा आम बोलचाल की भाषा होते हुए भी अलग है। इसकी भाषा मानकता के क़रीब रहते हुए भी इसके नियमों का पालन कभी नहीं करती। नए–नए शब्द समय और ज़रूरत के हिसाब से गढ़े जाते हैं तो कई शब्दों को हमेशा के लिए त्याग दिया जाता है। इस भाषा को अंग्रेज़ी, उर्दू और दूसरी भाषाओं से कोई परहेज़ नहीं। इसकी भाषा मीडिया के अन्य माध्यमों मसलन अख़बार या फिर रेडियो की भाषा से बेहद अलग है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2011
Edition Year 2022, Ed. 4th
Pages 236p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Harish Chandra Barnwal

Author: Harish Chandra Barnwal

हरीश चंद्र बर्णवाल

जन्म : पश्चिम बंगाल में आसनसोल के पास नियामतपुर में।

शिक्षा : दिल्ली विश्वविद्यालय से राजनीतिशास्त्र में स्नातक (टॉपर) और जामिया मिल्लिया इस्लामिया से टेलीविज़न पत्रकारिता में स्नातकोत्तर। मानव अधिकार में पीजी डिप्लोमा।

पिछले कई सालों से टेलीविज़न पत्रकारिता से जुड़े हैं। IBN 7 से पहले 3 साल तक स्टार न्यूज़ में कार्यरत रहे।

प्रकाशित कृतियाँ : ग़ज़लों पर एक किताब ‘लहरों की गूँज’ मुम्बई के परिदृश्य प्रकाशन से आ चुकी है। कहानी-संग्रह ‘सच कहता हूँ’ वाणी प्रकाशन से प्रकाशित।

सम्मान : ‘रोज़गार की तलाश में’ कहानी के लिए हिन्दी अकादमी, दिल्ली सरकार द्वारा पुरस्कृत। ‘यही मुम्बई है’ कहानी के लिए ‘हंस’ पत्रिका द्वारा ‘अखिल भारतीय अमृतलाल नागर पुरस्कार’। ‘चौथा कंधा’ कहानी के लिए ‘कथादेश सम्मान’। ‘संवेदनहीनता’ कहानी के लिए ‘कादंबिनी पुरस्कार’ से सम्मानित। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (IMA) द्वारा ‘विशिष्ट सम्मान’ से सम्मानित। ‘भारतेन्दु हरिश्चन्द्र पुरस्कार’ और ‘नारद पुरस्कार’ से भी सम्मानित।

सम्प्रति : IBN7 में एसोसिएट एक्जिक्यूटिव प्रोड्यूसर।

 

 

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