Sarson Se Amaltas

Author: Chitra Desai
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Sarson Se Amaltas
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रिश्तों का जटिल संसार और प्रकृति का सरल, सहज अकुंठ विस्तार; इन कविताओं की जड़ें इन्हीं दो ज़मीनों में फैली हैं। रिश्ते रंग बदलते हैं तो उनको एक सम पर टिकाए रखना, ताकि ज़िन्दगी ही अपनी धुरी से न हिल जाए, अपने आप में बाक़ायदा एक काम है, जबकि अपने होने-भर से, हमारे इर्द-गिर्द अपनी मौजूदगी-भर से ढाढ़स बँधाती प्रकृति हमारी व्यथित-व्याकुल रूह के लिए एक सुकूनदेह विश्राम-भूमि। और यही नहीं, ये कविताएँ बताती हैं कि उनके रंगों में हमारी हर पीड़ा, हर उल्लास, हर उम्मीद, हर अवसाद के लिए कहीं कोई रंग उपलब्ध है जो हमारे अर्जित-अनार्जित सम्बन्धों के शहरों, जंगलों, पहाड़ों और पठारों के अलग-अलग मोड़ों पर मन को अपना-सा लगता है, और सब तरफ़ से निराश हो हम उसकी उँगली थाम अपने अन्तस की ओर चल पड़ते हैं—नए होकर लौटने के लिए।

शायद इसीलिए ये कविताएँ प्रकृति का अवलम्ब कभी नहीं छोड़तीं। प्रकृति के स्वरों में ये रिश्तों के राग को भी गाती हैं और विराग को भी। टूटते-भागते सम्बन्धों को पकड़ने की कोशिश में यदि इनकी हथेलियाँ रिस रही हैं और नानी के कहने से आसमान में दूर बैठे चाँद को मामा मान लेने पर पश्चात्ताप कर रही हैं तो यह भरोसा भी उनमें विन्यस्त है कि ‘भीतर जमे रिश्ते ही/बाहरी मौसम से बचाते हैं।’ संग्रह की कई कविताएँ सम्बन्ध या कहें कि ‘सेन्स ऑफ़ बिलांगिंग’ को बिलकुल अलग भूमि पर देखती हैं, मसलन यह छोटी-सी कविता : ‘तुम्हें ख़ुश रखने की आदत/देवदार-सी/मेरे भीतर उग रही है/और इसीलिए मैं बहुत बौनी होती जा रही हूँ।’ या फिर ‘अपाहिज सम्बन्ध’ शीर्षक एक और छोटी कविता।

संग्रह की अधिकांश कविताओं में प्रेम एक अंडरकरंट की तरह बहता है और कभी-कभी पर्याप्त मुखर होकर बोलता हुआ भी दीखता है—उछाह में भी और अवसन्नता में भी। लेकिन बहुत शालीन संयम के साथ, जो रचनाकार के अहसास की गहराई का प्रमाण है। शायद इसी गहरे का परिणाम यह भी है कि अपने आस-पास के भौतिक-सामाजिक यथार्थ को लक्षित कविताएँ इन्हीं विषयों पर लिखी गईं अनेक समकालीन कविताओं से कहीं अधिक सारगर्भित और व्यंजक हैं, उदाहरण के लिए, ‘बम्बई-1’, एंड ‘बम्बई-2’, ‘अफ़वाह’ और ‘पुल कहाँ गया’ शीर्षक कविताएँ। कहना न होगा कि अपनी संयत अभिव्यक्ति में सधी ये कविताएँ हिन्दी कविता के पाठकों के लिए संवेदना के एक अलग इलाक़े को खोलेंगी।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2015
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 111p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1
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Chitra Desai

Author: Chitra Desai

चित्रा देसाई

दिल्ली में पली-बढ़ीं, अब मुम्बई में।

शिक्षा : बी.ए. (राजनीतिशास्त्र), एल.एल.बी., दिल्ली विश्वविद्यालय। ऑल्टर्नेटिव डिस्प्यूट रिजोल्यूशन कोर्स, मुम्बई विश्वविद्यालय। 1980 से सर्वोच्च न्यायालय में वकालत।

‘राष्ट्रीय फ़‍िल्म पुरस्कार निर्णायक मंडल’ की पूर्व सदस्य। ‘केन्द्रीय फ़‍िल्म प्रमाणन बोर्ड’ की पूर्व सदस्य।

‘राष्ट्रीय फ़‍िल्म संग्रहालय’ की सलाहकार समि‍ति की पूर्व सदस्य। ‘बार्कलेज इंडिया’ की सलाहकार समिति की सदस्य। विदेश मंत्रालय में ‘हिन्दी सलाहकार समिति’ की सदस्य। काव्य-संग्रह 'सरसों से अमलतास’ को ‘गुफ़्तगू’, इलाहाबाद द्वारा 'सुभद्रा कुमारी चौहान सम्मान’। यही काव्य-संग्रह 'महाराष्ट्र राज्य हिन्दी साहित्य अकादेमी’ द्वारा भी सम्मानित। ‘कविकुम्भ’, देहरादून द्वारा 'स्वयंसिद्धा सम्मान—2018’ (साहित्य) से सम्मानित।

कविवर गोपाल सिंह नेपाली फ़ाउंडेशन द्वारा 'नेपाली गीत-सम्मान—2018’। राष्ट्रीय एवं अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर हिन्दी साहित्य उत्सव तथा सम्मेलनों में सक्रिय भागीदारी।

 

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