Sankhayaparak Shabd Kosh-Hard Cover

Author: Shaligram Gupt
ISBN: 9789389243659
Edition: 2019, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
Special Price ₹845.75 Regular Price ₹995.00
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9789389243659
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सम् उपसर्ग पूर्वक ख्या (प्रकथने) धातु से ‘संख्या’ शब्द बना है। ‘प्रकथन’ का अर्थ है ‘नाम निर्देश’ करना। गिनतियों में भावों के नाम होने के कारण इनको ‘संख्या’ शब्द से व्यक्त किया गया है। शास्त्र और लोक की व्यवहार परम्परा में संख्यावाचक शब्दों का प्रयोग विभिन्न स्तरों पर प्राचीन काल से होता रहा है। पालि त्रिपिटक के अन्तर्गत सुत्तों की जो विशेषताएँ कही गई हैं, उनमें से एक 'संख्यात्मक परिगणन प्रणाली' का प्रयोग भी है। संख्यात्मक वर्गीकरण के प्रयोग सांख्य और जैन दर्शन में विशेष दिखाई पड़ने के साथ वाल्मीकि रामायण, महाभारत एवं पौराणिक साहित्य में भी दिखते हैं जो प्रबुद्ध प्रतिभा और उर्वर कल्पना का संस्पर्श पाकर गूढ़ एवं रहस्यगर्भित संकेतों के द्योतक प्रतीकों के रूप में सार्थक हो उठे हैं।

भारतीय धर्म साधना एवं साहित्य की विविध विधाओं में जिन अनेक गूढ़ार्थपरक संख्यावाचक शब्दों का प्रयोग हुआ है, उन सबका संचयन और विवेचन एवं मूल सन्दर्भ ग्रन्थों से आवश्यक उद्धरणांश देकर प्रस्तुत कोश को भरसक उपादेय बनाने के लिए एक से लेकर एक सौ आठ संख्या पर्यन्त प्राप्त हुए 4090 संख्या शब्दों का यहाँ विवेचन किया गया है। विश्वास है, प्रस्तुत मौलिक प्रयास सर्वोपयोगी सिद्ध होगा।

प्रस्तुत कोश में संगृहीत लगभग पाँच हज़ार संख्यापरक शब्दों को तत्सम्बन्धी अस्सी संख्या शीर्षकों में अकारादि क्रम से विभाजित कर उपस्थित किया गया है जिससे किसी भी शब्द से सम्बन्धित आवश्यक जानकारी प्राप्त करने में कोई असुविधा न हो। उदाहरणार्थ यदि ‘तैंतीस देवता' शब्द देखना है तो कोश में ‘तैंतीस’ संख्या शीर्षक के अन्तर्गत ‘देवता तैंतीय' देखना होगा। इसी तरह यदि ‘एकादश रुद्र’ शब्द देखना है तो ‘ग्यारह’ संख्या शीर्षक के अन्तर्गत ‘रुद्र एकादश’ शब्द खोजना होगा। आदि-आदि।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 1st
Pages 474p
Price ₹995.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 2.5
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Author: Shaligram Gupt

शालिग्राम गुप्त

जन्म : 13 नवम्बर, 1931; मुंगरा बादशाहपुर, जौनपुर (उ.प्र.)।

शिक्षा : एम.ए. 1956 एवं डी.फ़िल्. 1961, इलाहाबाद विश्वविद्यालय। शोध विषय—‘ब्रज और बुन्देली लोकगीतों में कृष्ण कथा'।

प्राध्यापक, हिन्दी विभाग, विश्व भारती, शान्तिनिकेतन (पश्चिम बंगाल) सितम्बर 1961 से दिसम्बर 1982 एवं प्रवाचक, जनवरी 1983 से 1995 तक।

सम्मान : वर्ष 1967-68 में हिन्दी समिति, उत्तर प्रदेश शासन, लखनऊ द्वारा शोध प्रबन्ध पर ‘रवीन्द्र पुरस्कार'।

प्रमुख कृतियाँ : ‘मुगल दरबार : कवि-संगीतज्ञ’ (सन् ई. 1531 से 1707 तक), ‘प्रेमाख्यानक शब्दकोश’, ‘शृंगार परम्परा और कला उपासना’, ‘साहित्य-सन्दर्भ’ (निबन्ध-संग्रह), ‘उत्तर मुग़ल दरबार : कवि-संगीतज्ञ’ (सन् ई. 1707 से 1856 तक), ‘मुसलमान कवि और हिन्दी मुक्तक’ (सन् ई. 1526 से 1856 तक)

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