Sangharsh

Edition: 2019, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Sangharsh
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संघर्ष’ की कथा मानव की उस अन्तर्निहित शक्ति को समर्पित है जो उसे अत्याचार और अन्याय से लडऩे को प्रेरित करती है। जब उपेक्षा, अवहेलना, तिरस्कार और उत्पीड़न मानव की सहज सहनशीलता का अतिक्रमण करने लगते हैं, तब उसकी चेतना उसके सुप्त स्वाभिमान को जगाकर अन्याय का प्रतिरोध करने को प्रेरित करती है।

‘संघर्ष’ की कथा भारतीय स्वतंत्रता-संग्राम के एक स्वर्णिम, पर लगभग उपेक्षित एवं विस्मृत अध्याय—चम्पारण सत्याग्रह तथा फ़‍िजी के कुछ भारतवंशी परिवारों पर केन्द्रित है। उन्नीसवीं शताब्दी से लेकर आज तक भारतीयों और भारतवंशियों को अन्याय और उपेक्षा के विरुद्ध तथा अपने अधिकारों की प्राप्ति एवं उनकी रक्षा के लिए बराबर संघर्ष करना पड़ा है। कई बार उनके प्रयासों को अपेक्षित सहानुभूति भी नहीं मिलती। अनेक परिस्थितियों में, देश-देशान्तर में संघर्ष की यह अन्तर्कथा आज भी सारगर्भित है। चम्पारण और बिहार के सन्दर्भ में तो ‘संघर्ष’ की कथा और भी सटीक है।

‘संघर्ष’ मानव की कर्मठता को एक विनम्र प्रणाम है और उसकी सकारात्मक सोच को प्रोत्साहित करने का एक लघु प्रयास भी।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2007
Edition Year 2019, Ed. 3rd
Pages 256p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 2
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Amrendra Narayan

Author: Amrendra Narayan

अमरेन्द्र नारायण

अमरेन्द्र नारायण एशिया एवं प्रशान्त क्षेत्र के अन्तरराष्ट्रीय दूर संचार संगठन एशिया पैसिफ़‍िक टेली कॉम्युनिटी के भूतपूर्व महासचिव एवं भारतीय दूर संचार सेवा के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं। उनकी सेवाओं की प्रशंसा करते हुए उन्हें भारत सरकार के दूरसंचार विभाग ने ‘स्वर्ण पदक’ से और संयुक्त राष्ट्र संघ की विशेष एजेंसी अन्तरराष्ट्रीय दूरसंचार संगठन ने टेली कॉम्युनिटी को ‘स्वर्ण पदक’ से तथा उन्हें व्यक्तिगत तौर पर ‘रजत पदक’ से सम्मानित किया।

श्री नारायण के अंग्रेज़ी उपन्यास—‘फ़्रैगरेंस बियॉन्ड बॉर्डर्स’ का उर्दू अनुवाद ‘ख़ुशबू सरहदों के पास’ नाम से प्रकाशित हो चुका है। भारत के भूतपूर्व राष्ट्रपति महामहिम अब्दुल कलाम साहब, भूतपूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी वाजपेयी सहित कई गणमान्य व्यक्तियों ने इस पुस्तक की सराहना की है। महात्मा गांधी के चम्पारण सत्याग्रह और फ़‍िजी के प्रवासी भारतीयों की स्थिति पर आधारित उनका ‘संघर्ष’ नामक उपन्यास काफ़ी लोकप्रिय हुआ है। उनकी पाँच काव्य-पुस्तकें—‘सिर्फ़ एक लालटेन जलती है’, ‘अनुभूति’, ‘थोड़ी बारिश दो’, ‘तुम्हारा भी, मेरा भी’ और ‘श्री हनुमत श्रद्धा सुमन’ पाठकों द्वारा प्रशंसित हो चुकी हैं।

श्री नारायण को अनेक साहित्यिक संस्थाओं ने सम्मानित किया है।

ई-मेल : amarnar@gmail.com

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