Rekhta Ke Nazeer

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Rekhta Ke Nazeer
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"रेख़्ता क्लासिक्स" सीरीज़ उर्दू के क्लासिकी शायरों के प्रतिनिधि शायरी को नए पाठकों तक पहुँचाने के एक अनूठा प्रयास है। प्रस्तुत किताब में नज़ीर अकबराबादी की प्रतिनिधि शायरी है जिसका संकलन फ़रहत एहसास साहब ने किया है।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2021
Edition Year 2021, Ed. 2nd
Pages 166p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan - Rekhta Books
Dimensions 21.5 X 14 X 1
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Editorial Review

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Author: Nazeer Akbarabadi

नज़ीर अकबराबादी

तख़ल्लुस नज़ीर और शायर बेनज़ीर, बेनज़ीर इसलिए कि उन जैसा शायर तो दूर रहा, उनकी श्रेणी का शायर न उनसे पहले कोई था न उनके बाद कोई पैदा हुआ। नज़ीर अकबराबादी उर्दू शायरी की एक अनोखी आवाज़ हैं जिनकी शायरी इस क़दर अजीब और हैरान करनेवाली थी कि उनके ज़माने की काव्य चेतना ने उनको शायर मानने से ही इनकार कर दिया था। नज़ीर से पहले उर्दू शायरी ग़ज़ल के गिर्द घूमती थी। शो’रा अपनी ग़ज़लगोई पर ही फ़ख़्र करते थे और शाही दरबारों तक पहुँच के लिए क़सीदों का सहारा लेते थे या फिर रुबाईयाँ और मसनवियाँ कह कर शे’र के फ़न में अपनी उस्तादी साबित करते थे। ऐसे में एक ऐसा शायर जो बुनियादी तौर पर नज़्म का शायर था, उनके लिए ग़ैर था। दूसरी तरफ़ नज़ीर न तो शायरों में अपनी कोई जगह बनाने के ख़ाहिशमंद थे, न उनको मान-मर्यादा, शोहरत या जाह-ओ-मन्सब से कोई ग़रज़ थी, वो तो ख़ालिस शायर थे। जहां उनको कोई चीज़ या बात दिलचस्प और क़ाबिल-ए-तवज्जो नज़र आई, उसका हुस्न शे’र बन कर उनकी ज़बान पर जारी हो गया। नज़ीर की शायरी में जो क़लंदराना बांकपन है वह अपनी मिसाल आप है। विषय हो, ज़बान हो या लहजा नज़ीर का कलाम हर ऐतबार से बेनज़ीर है।

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