Rangdarshan-Hard Cover

ISBN: 9788171193318
Edition: 2023 Ed. 9th
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
Special Price ₹760.75 Regular Price ₹895.00
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9788171193318
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आधुनिक भारतीय रंगमंच के वैचारिक आधार क्या हैं—उसकी अपार विविधता का फलितार्थ क्या है—उसमें आधुनिकता और परम्परा के बीच कैसी बतकही और आवाजाही होती रही है आदि ऐसे प्रश्न हैं जो आधुनिक भारतीय रंगदृष्टि को विन्यस्त करने और उसे समझने के लिए ज़रूरी हैं। हमारी उत्तर-औपनिवेशिक जहनियत की यह विडम्बना है कि ऐसे प्रश्न अक्सर भारतीय भाषाओं में तीखेपन और बेबाकी के साथ उत्सुकता और जिज्ञासा से प्रेरित होकर उठाए ही नहीं गए। इन प्रश्नों को ज़िम्मेदारी और सयानेपन से उठाने की पहल प्रसिद्ध हिन्दी कवि-आलोचक और रंगसमीक्षक नेमिचन्द्र जैन ने की : ऐसा पहली बार हिन्दी में ही नहीं बल्कि सारी भारतीय भाषाओं में भी पहली बार ही हुआ है। 'रंगदर्शन’ उसी का एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ है जो आज भी भारतीय रंगमंच के आधुनिक दौर को समझने-बूझने में एक अनिवार्य उपकरण बना हुआ है।

‘रंगदर्शन’ में जहाँ एक ओर रंगशाला, नाट्य-प्रशिक्षण, दर्शक-वर्ग, व्यावसायिकता आदि का गम्भीरता से विश्लेषण है, वहीं दूसरी ओर उसमें नाटक का अध्ययन, रचना-प्रक्रिया, नाट्य-रूप और भाषा, परम्परा की प्रासंगिकता, रंगदृष्टि की खोज आदि मुद्दे उठाकर भारतीय रंगालोचना को पुष्ट बौद्धिक ऊर्जा और आभा देने की कोशिश है। यह अकारण नहीं है कि हिन्दी के अलावा बांग्ला, मराठी, अंग्रेज़ी आदि में भी इस पुस्तक को दिशादर्शी और महत्त्वपूर्ण माना गया है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 1982
Edition Year 2023 Ed. 9th
Pages 215p
Price ₹895.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2
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Nemichandra Jain

Author: Nemichandra Jain

नेमिचन्द्र जैन

जन्म : 16 अगस्त, 1919 (आगरा)।

शिक्षा : एम.ए. (अंग्रेज़ी)।

1959-76 तक राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय में वरिष्ठ प्राध्यापक।

1976-82 तक जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय के कला अनुशीलन केन्द्र में फेलो एवं प्रभारी।

अंग्रेज़ी दैनिक ‘स्टेट्समैन’ और ‘टाइम्स ऑफ़ इंडिया’ के नाट्य-समीक्षक; ‘दिनमान’ तथा ‘नवभारत टाइम्स’ के स्तंभकार; रंगमंच की विख्यात पत्रिका ‘नटरंग’ के संस्थापक-सम्पादक एवं ‘नटरंग प्रतिष्ठान’ के संस्थापक अध्यक्ष। जीवन-यात्रा के दौरान अपने कार्यों में अन्यता सिद्ध करनेवाले नेमिचन्द्र जैन को भारत के राष्ट्रपति की ओर से ‘पद्मश्री’ अलंकरण, संगीत नाटक अकादमी द्वारा ‘राष्ट्रीय सम्मान’ तथा दिल्ली हिन्दी अकादमी के 'शलाका’ सम्मान से विभूषित किया गया था।

कविताएँ : ‘तार-सप्तक’ (1944), ‘एकान्त’ (1973)।

आलोचना : ‘अधूरे साक्षात्कार’ (उपन्यास-समीक्षा : 1966, 1989); ‘रंगदर्शन’ (रंगमंचीय समस्याओं का विवेचन, 1967, 1983,  1993);  ‘बदलते परिप्रेक्ष्य’ (कविता और आलोचनात्मक निबन्ध, 1968); ‘जनांतिक’ (आलोचनात्मक निबन्ध, 1981); ‘पाया पत्र तुम्हारा’ (मुक्तिबोध के साथ पत्र-व्यवहार, 1984); ‘भारतीय नाट्य परम्परा’ (1989); ‘दृश्य अदृश्य’ (संस्कृति और रंगमंच सम्बन्धी निबन्ध, 1993); ‘इंडियन थिएटर’ (अंग्रेज़ी में भारत की नाट्य परम्परा का विवेचन, 1992); ‘रंग परम्परा’ (1996); ‘रंगकर्म की भाषा’ (1996); ‘तीसरा पाठ’ (चार दशक की नाट्य समीक्षाएँ, 1998)।

सम्पादन : ‘मुक्तिबोध रचनावली’, 6 खंड (1980, 1985, 1998); ‘आधुनिक हिन्दी नाटक और रंगमंच’ (1979); ‘नए हिन्दी लघु नाटक’ (1986); ‘मोहन राकेश के सम्पूर्ण नाटक’ (1993)।

अनुवाद : नाटक, उपन्यास, कविता, समालोचना, इतिहास, समाजशास्त्र, दर्शन, राजनीति सम्बन्धी अनेक ग्रन्थ।

नाट्य-विशेषज्ञ के रूप में रूस, अमरीका, इंग्लैंड, पश्चिमी एवं पूर्वी जर्मनी, फ़्रांस, युगोस्लाविया, चेकोस्लोवाकिया, पोलैंड आदि देशों की यात्रा।

निधन : 2005

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