Pratinidhi kavitayen : Arun Kamal

Author: Arun Kamal
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Pratinidhi kavitayen : Arun Kamal
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अरुण कमल की कविता का उर्वर प्रदेश लगभग पाँच दशकों में फैला हुआ है। अरुण कमल की कविता में उस अभिनव काव्य-सम्भावना का आद्यक्षर और उसका पूरा ककहरा दिखाई पड़ता है, जिससे हिन्दी कविता का नया चेहरा आकार लेता प्रतीत होता है। अरुण कमल की कविता की बहुत बड़ी विशेषज्ञता वह अपनत्व है जो बहुत हद तक उनके व्यक्तित्व का ही हिस्सा है। उनकी कविताओं से होकर गुज़रना एक अत्यन्त आत्मीय स्वजन

के साथ एक अविस्मरणीय यात्रा है। अरुण कमल की कविताएँ एक साथ अनुभवजन्य हैं और अनुभवसुलभ। अनछुए बिम्ब, अभिन्न पर कुछ अलग से, अरुण कमल के काव्य-जगत में सहज ही ध्यान खींचते हैं और अपने समकालीनों में उन्हें एक अलग पहचान देते हैं। अरुण कमल की सबसे सधी कविताओं में अनन्य अर्थगौरव और अनुगूँज है। यह अर्थगुरुता या अर्थगहनता जिससे कविता पन्ने पर जहाँ ख़त्म होती है, वहाँ ख़त्म नहीं होती बल्कि अपने अर्थ और असर की अनुगूँजों से पढ़ने, सुननेवालों के मन-मानस में अपने को फिर से सृजित करती है। कवि का सतत सृजन-कर्म उसकी इसी अप्रतिहत विकास-यात्रा के प्रति आश्वस्त करता है।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2013
Edition Year 2021, Ed. 3rd
Pages 120p
Translator Not Selected
Editor Prem Ranjan Animesh
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 17.5 X 12 X 1
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Arun Kamal

Author: Arun Kamal

अरुण कमल

जन्म : 15 फरवरी, 1954 को नासरीगंज, रोहतास (बिहार) में।

प्रकाशित प्रमुख पुस्तकें : कविता—‘अपनी केवल धार’, ‘सबूत’, ‘नये इलाक़े में’, ‘पुतली में संसार’, ‘मैं वो शंख महाशंख’, ‘पुतली में संसार’; आलोचना—‘कविता और समय’ तथा ‘गोलमेज’; साक्षात्कार—‘कथोपकथन’; समकालीन कवियों पर निबन्धों की पुस्तक—‘दुःखी चेहरों का शृंगार प्रस्तावित’; अंग्रेज़ी में समकालीन भारतीय कविता के अनुवादों की पुस्तक—‘वायसेज़’—वियतनामी कवि तो हू की कविताओं तथा टिप्पणियों की अनुवाद-पुस्तिका। साथ ही मायकोव्स्की की आत्मकथा के अनुवाद एवं अनेक देशी-विदेशी कविताओं के अनुवाद।

अनेक देशी-विदेशी भाषाओं में कविताएँ तथा कविता-पुस्तकें अनूदित।

सम्मान : कविता के लिए ‘भारतभूषण अग्रवाल स्मृति पुरस्कार’, ‘सोवियत लैंड नेहरू अवार्ड’, ‘श्रीकान्‍त वर्मा स्मृति पुरस्कार’, ‘रघुवीर सहाय स्मृति पुरस्कार’, ‘शमशेर सम्मान’ और ‘नये इलाक़े में’ पुस्तक के लिए 1998 का ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’।

डॉ. नामवर सिंह के प्रधान सम्पादकत्व में ‘आलोचना’ का सम्पादन।

सम्प्रति : पटना विश्वविद्यालय में अंग्रेज़ी के अध्यापक।

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