Pratinidhi Kahaniyan : Manoj Rupada

Author: Manoj Rupada
Editor: Rakesh Mishra
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Pratinidhi Kahaniyan : Manoj Rupada
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मनोज रूपड़ा हमारे समय के ऐसे विलक्षण कथाकार हैं जिनकी कहानियाँ अतीत और वर्तमान के घातक टकराव के बीच किसी घटना की तरह सामने आती हैं। यथार्थ की जड़ता को ध्वस्त करने के लिए अमूमन वे अपने चरित्रों को किसी खास क्षण या मनःस्थिति में फ्रीज कर देते हैं और इसके बरक्स यथार्थ की गतिशीलता को बढ़ा देते हैं। कई बार यथार्थ और चरित्र दोनों ही गतिशील होते हैं पर परस्पर भिन्न दिशाओं में। वे अपने कथा-चरित्रों के बाहरी और भीतरी यथार्थ के बीच एक तनाव भरा गुंजलक रचते हैं जहाँ सब कुछ गुँथकर एक विस्फोट की तरह प्रकट होता है और तब ‘दफ़न’, ‘साज़-नासाज़’, ‘टॉवर ऑफ सायलेंस’ या ‘सेकेंड लाइफ’ जैसी कहानियाँ सामने आती हैं। स्मृति, स्वप्न, कल्पना और यथार्थ के सघन और मार्मिक तंतुओं से बुनी हुई उनकी कहानियों में दृश्य इतने चाक्षुस होकर सामने आते हैं कि पाठ के समय ये कहानियाँ कहीं भीतर दृश्यमान होकर अपने लिए एक नई ही अर्थवत्ता की तलाश करने लगती हैं।

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Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 168p
Translator Not Selected
Editor Rakesh Mishra
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18 X 12.5 X 1.5
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Manoj Rupada

Author: Manoj Rupada

मनोज रूपड़ा

मनोज रूपड़ा का जन्म 16 दिसम्बर, 1963 को गुजरात में हुआ।

उनकी प्रकाशित कृतियाँ हैं—‘दफ़न और अन्य कहानियाँ’, ‘साज़-नासाज़’, ‘टॉवर ऑफ साइलेंस’, ‘आमाज़गाह’, ‘अनुभूति’, ‘दहन’ (कहानी-संग्रह); ‘प्रतिसंसार’, ‘काले अध्याय’ (उपन्यास); ‘कला का आस्वाद’ (वैचारिक निबन्ध)। लगभग सभी प्रमुख भारतीय भाषाओं में उनकी कहानियों के अनुवाद प्रकाशित हुए हैं। कथा साहित्य के अलावा आजकल चित्रकारी में भी सक्रिय।

दुर्ग और मुम्बई में लम्बा वक्त बिताने के बाद पिछले कई सालों से नागपुर में रहनवारी।

उन्हें ‘वनमाली कथा सम्मान’, ‘इन्दु शर्मा कथा सम्मान’, ‘पाखी सम्मान’ और ‘कथाक्रम सम्मान’ से सम्मानित किया जा चुका है।

ई-मेल : manojrupada@gmail.com

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