Pratinidhi Kahaniyan : Chandrakanta-Hard Back

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9789389598049
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चन्द्रकान्ता कश्मीर केन्द्रित अपने विपुल कथा-लेखन के लिए हिन्दी जगत में ख़ासी लोकप्रिय हैं। अपनी कहानियों में उन्होंने देश-विभाजन के तत्काल बाद कश्मीर संकट से उपजे हालात से लेकर 'जेहाद' के नाम पर जारी आतंकवाद से झुलसते कश्मीर की आबोहवा और अवाम के दुःख-दर्द का अद्यतन चित्र उकेरा है, जहाँ वे यथास्थिति का चित्रण-भर करके नहीं रुक जातीं अपितु प्यार, ईमान और इंसानियत से लबरेज़ पात्रों का सृजन कर कट्टरता एवं हिंसा के विरुद्ध पुरज़ोर आवाज़ उठाती हैं। कश्मीर ही नहीं, देश-दुनिया की हर उस मानवीय त्रासदी को चन्द्रकान्ता अपनी कहानियों में जगह देती हैं जिससे एक संवेदनशील रचनाकार का मन आहत एवं उद्वेलित होता है। वे उस भ्रष्ट व्यवस्था और मनुष्य विरोधी तंत्र को कठघरे में खड़ा करती हैं, जिसने तेज़ी से बदलते समाज में चतुर्दिक संघर्ष से घिरे मनुष्य की आन्तरिक अनुभूतियों को कहीं गहरे दफ़न कर दिया है। व्यक्ति और व्यवस्था की मुठभेड़ में वे पूरी प्रतिबद्धता के साथ प्रत्येक विषम परिस्थिति एवं प्रवृत्ति की समीक्षा करती हैं; तत्पश्चात् उन तथ्यों का अन्वेषण करती हैं जिससे मनुष्य की अन्तरात्मा को मरने से बचाया जा सके और इस प्रकार एक बेहतर कल के लिए मनुष्य के स्वप्नों, संवेदनाओं और स्मृतियों को सिरज लेने की चिन्ता चन्द्रकान्ता की कहानियों का प्रस्थान-बिन्दु बन जाती है।
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Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2020
Edition Year 2020, 1st Ed.
Pages 160p
Price ₹195.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 19 X 13 X 2
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Chandrakanta

Author: Chandrakanta

चन्‍द्रकान्‍ता

3 सितम्बर, 1938 को श्रीनगर, कश्मीर में जन्म। बी.ए., बी.एड. तक की शिक्षा श्रीनगर से तथा बिड़ला आर्ट्स कॉलेज, पिलानी (राजस्थान) से हिन्दी साहित्य में एम.ए.। 

1967 से निरन्तर सृजनरत चन्द्रकान्ता के अब तक चौदह कहानी-संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। इनके अलावा चयनित एवं चर्चित कहानियों के नौ संकलन एवं समग्र कहानियाँ चार खंडों में प्रकाशित हैं। आपके प्रकाशित उपन्यास हैं—‘अन्तिम साक्ष्य’, ‘अर्थान्तर’, ‘बाक़ी सब ख़ैरियत है’, ‘ऐलान गली ज़िन्दा है’, ‘अपने-अपने कोणार्क’, ‘यहाँ वितस्ता बहती है’, ‘कथा सतीसर’, ‘समय-अश्व बेलगाम’। अन्य कृतियाँ हैं—‘यहीं कहीं आसपास’ (कविता-संग्रह); ‘हाशिए की इबारतें’ (आत्मकथात्मक संस्मरण); ‘मेरे भोजपत्र’ (संस्मरण एवं आलेख); ‘प्रश्नों के दायरे में’ (साक्षात्कार)।

चन्द्रकान्ता की कई कहानियों एवं उपन्यासों के विभिन्न भारतीय भाषाओं एवं अंग्रेज़ी में अनुवाद हो चुके हैं। आपकी रचनाएँ कई विश्वविद्यालयों के हिन्दी साहित्य के पाठ्यक्रम में शामिल हैं। दूरदर्शन के लिए कई कहानियों का फ़िल्मांकन तथा आकाशवाणी से कहानियों-उपन्यासों का धारावाहिक प्रसारण हुआ है।

आपको के.के. बिड़ला फाउंडेशन का ‘व्यास सम्मान’, हिन्दी अकादमी (दिल्ली) का ‘साहित्यकार सम्मान’, हरियाणा साहित्य अकादमी का ‘बाबू बालमुकुंद गुप्त पुरस्कार’, उ.प्र. हिन्दी संस्थान का ‘महात्मा गांधी सम्मान’, केन्द्रीय हिन्दी संस्थान (आगरा) का ‘सुब्रह्मण्यम भारती पुरस्कार’ आदि अनेक प्रतिष्ठित पुरस्कार एवं सम्मान मिले हैं। डी.एस.सी. साउथ एशियन लिटरेरी प्राइज़ की शॉर्टलिस्ट में ए स्ट्रीट इन श्रीनगर (ऐलान गली ज़िन्दा है का अंग्रेज़ी अनुवाद) और लॉन्गलिस्ट में द सागा ऑफ़ सतीसर (कथा सतीसर का अंग्रेज़ी अनुवाद) शामिल एवं पुरस्कृत।

ईमेल : chandrakanta39@gmail.com

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