यद्यपि नाग बोडस एक नाटककार के रूप में अधिक प्रसिद्ध हैं, पर उनके साहित्यिक जीवन की शुरुआत कहानी-लेखन से ही हुई थी। उनकी पहली कहानी अज्ञेय द्वारा सम्पादित पत्रिका ‘नया प्रतीक’ में छपी थी। इसके बाद साहित्य की लगभग सभी महत्त्वपूर्ण पत्रिकाओं में उनकी कहानियाँ छपी हैं। उनकी कहानियों में एक बौद्धिक ऊर्जा देखी जा सकती है। ये सभी कहानियाँ न केवल विषयों के स्तर पर, बल्कि ‘कहने’ के स्तर पर भी भिन्न-भिन्न प्रकार की हैं। पर इसके बावजूद इनमें लेखक की छाप देखी जा सकती है और इसलिए कम-से-कम हिन्दी में ये अपनी अलग पहचान बनाती हैं।
इनमें प्रयोगात्मकता तथा भाषा का विशेष प्रकार का उपयोग है और इसलिए इन्हें पढ़ना एक अलग तरह के अनुभव से गुज़रना है। इस हिसाब से इनके लोकप्रिय होने में सन्देह किया जा सकता है, पर स्तरीय होने में नहीं। वैसे आज की लोकप्रिय कहानियों की हालत को देखते हुए, लोकप्रिय न होना अपने-आप में कोई सीमा नहीं है।
नाग बोडस के लेखन में अन्वेषण का उत्साह है, यद्यपि यह अन्वेषण किसी बुनियादी या बड़े सत्य के लिए न होकर स्थितियों के अन्दर से और अन्दर झाँकने की कोशिश के हिस्से की तरह लगता है।
विडम्बना उनकी कहानियों का एक प्रमुख तत्त्व है और ‘जन्मदिन’ जैसी कहानी तो इसी पर आधारित है। जो पाठक लीक से हटकर किन्तु दिलचस्प पढ़ने की लालसा रखते हैं, वे निश्चय ही इस संग्रह को अपने पाठन-मन के अनुकूल पाएँगे।
Language | Hindi |
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Binding | Hard Back |
Translator | Not Selected |
Editor | Not Selected |
Publication Year | 1995 |
Edition Year | 2024, Ed. 2nd |
Pages | 158p |
Publisher | Radhakrishna Prakashan |
Dimensions | 22 X 14 X 1 |