Nazir Banarasi Ki Shayari

Shayari
You Save 20%
Out of stock
Only %1 left
SKU
Nazir Banarasi Ki Shayari

यह ‘कविता की दुनिया में उर्दूमुखी हिन्दी और हिन्दीमुखी उर्दू के अकेले कवि के रूप में सबसे अधिक’ जाने-पहचाने और, ‘राष्ट्रीयता और आपसी भाईचारे अर्थात् भारतीयता के प्रतिनिधि कवि-शायर’ नज़ीर बनारसी की प्रतिनिधि रचनाओं का संग्रह है।

‘नज़ीर’ की सबसे बड़ी ख़ूबी उनकी भाषा की जन-सम्प्रेषणीयता है। भाषा और ग़ज़ल की विशेषता पर स्वयं नज़ीर का दृष्टिकोण एकदम साफ़ था। उनका कहना था—“शायर होने के नाते ग़ज़ल मेरा मिज़ाज है, ग़ज़ल को मैं दीगर असनाफ़े सुखन (रचना-विधा) के मुक़ाबले में मुश्किल समझता हूँ। मेरा विचार है कि ग़ज़ल में इस बात की सम्पूर्ण योग्यताएँ विद्यमान हैं कि वह सम्पूर्ण विचार और तसव्वुरात को अच्छी तरह और आसानी से पेश कर सके, क्योंकि इसका दामन काफ़ी फैला हुआ है।”

ज़ाहिर है कि इस किताब में उनकी उन सभी ग़ज़लों को ले लिया गया है, जिन्हें वे ख़ुद भी अहम मानते थे और उनके चाहनेवाले भी। इसके अलावा वे नज़्में भी यहाँ दे दी गई हैं, जिनसे उनका वैचारिक पक्ष साफ़ होता है।

गंगा प्रदूषण, आतंकवाद और फ़िरकापरस्ती आज भी ज्वलन्त समस्याएँ हैं। इन पर उनका नज़रिया ‘गंगा प्रदूषण’, ‘कैसे-कैसे ज़ेहन को फ़िरक़ापरस्ती खा गई’, ‘फ़िरक़ापरस्ती का चैलेंज’ और ‘फ़िरक़ापरस्ती के चैलेंज का जवाब’ में देखा जा सकता है। वाराणसी में बुनकरों की अलग तरह की समस्या है। ‘इस कटौती की मैयत उठाएँगे हम’ तथा ‘कटौती का दसवाँ’ के माध्यम से इस समस्या पर भी जिस तरह से चर्चा की गई है, उससे समाधान भी दिखाई देता और नज़ीर का एक्टीविस्ट चेहरा भी सामने आता है।

राष्ट्रीयता और आपसी भाईचारे का सन्देश तो क़दम-क़दम पर मिलता ही है। यही नज़ीर का वास्तविक चेहरा है, यही उनकी चिन्ता भी है और चिन्तन भी।

More Information
Language Hindi
Format Paper Back
Publication Year 2010
Edition Year 2010, Ed. 1st
Pages 144p
Translator Not Selected
Editor Moolchand Sonkar
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22.5 X 14.5 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Nazir Banarasi Ki Shayari
Your Rating

Editorial Review

It is a long established fact that a reader will be distracted by the readable content of a page when looking at its layout. The point of using Lorem Ipsum is that it has a more-or-less normal distribution of letters, as opposed to using 'Content here

'Nazeer' Banarasi

Author: 'Nazeer' Banarasi

‘नज़ीर’ बनारसी

नज़ीर बनारसी का जन्‍म बनारस के एक मध्‍यवर्गीय परिवार में 25 नवम्‍बर, 1909 में हुआ था। इन्‍होंने उस्‍मानिया तिब्बिया कॉलेज, इलाहाबाद से हकीमी की डिग्री हासिल की। उर्दू और फ़ारसी का पर्याप्‍त ज्ञान स्‍वाध्‍याय से अर्जित किया। इनकी प्रमुख कृतियों का नाम है—‘गंगो-

जमन’, ‘जवाहर से लाल तक’, ‘ग़ुलामी से आज़ादी तक’, ‘चेतना के स्‍वर’, ‘किताबे-ग़ज़ल’, ‘राष्‍ट्र की अमानत राष्‍ट्र के हवाले’। इनका निधन 23 मार्च, 1996 में हुआ।

Read More
Books by this Author

Back to Top