Facebook Pixel

Lokayat

Edition: 2024, Ed. 6th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
As low as ₹562.50 Regular Price ₹750.00
25% Off
In stock
SKU
Lokayat

- +
Share:
Codicon

यह पुस्तक प्राचीन भारतीय भौतिकवाद की मार्क्सवादी व्याख्या प्रस्तुत करती है। पाश्चात्य व्याख्याताओं ने भारतीय दर्शन के इस सशक्त पक्ष की प्रायः उपेक्षा की है। उनकी उपनिवेशवादी इतिहास-दृष्टि इस बात को बराबर रेखांकित करती रही है कि भारतीय दर्शन की मूल चेतना पारलौकिक और आध्यात्मिक है। उसमें जीवन तथा जगत के यथार्थ को महत्‍त्‍वहीन माना गया है अथवा उसकी उपेक्षा की गई है।

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय ने प्राचीन ग्रन्‍थों, पुरातात्त्विक और नृतत्त्‍वशास्त्रीय प्रमाणों और ऐतिहासिक साक्ष्यों के आधार पर इस बात का खंडन किया है। उनका कहना है कि प्राचीन भारत में लौकिकवाद और अलौकिकवाद, दोनों ही मौजूद थे। राजसत्ता के उदय के बाद शासक वर्ग ने लौकिक चिन्‍तन को अपने स्वार्थ के लिए नेपथ्य में डाल दिया तथा पारलौकिक चिन्‍तन को बढ़ावा दिया और भारतीय चिन्‍तन की एकमात्र धारा के रूप में उसे प्रतिष्ठा दिलाई। इसलिए प्राचीन भारत के लौकिक चिन्‍तन को समझे बिना हमारी इतिहास-दृष्टि हमेशा धुँधली रहेगी।

यह पुस्तक इतिहास, दर्शन, भारतीय साहित्य और संस्कृति में दिलचस्पी रखनेवाले जिज्ञासुओं के लिए समान रूप से उपयोगी है। इस पुस्तक का विश्व की सभी प्रमुख भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2005
Edition Year 2024, Ed. 6th
Pages 552p
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 24.5 X 16 X 4.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Lokayat
Your Rating
Deviprasad Chattopadhyay

Author: Deviprasad Chattopadhyay

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय

जन्‍म : 1918

देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय ने कलकत्ता विश्वविद्यालय से एम.ए., डी.लिट्. किया तथा मॉस्को एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज से मानद डी.एससी. की उपाधि से सम्मानित हुए। वे जर्मन एकेडेमी ऑफ़ साइंसेज के अकादमीशियन तथा भारतीय दार्शनिक अनुसंधान परिषद के राष्ट्रीय फ़ेलो भी रहे। काउंसिल ऑफ़ साइंटिफ़‍िक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च की शोध परियोजना ‘प्राचीन भारत में विज्ञान एवं टेक्नोलॉजी का इतिहास’ में अतिथि वैज्ञानिक के रूप में कार्य किया।

उनके द्वारा लिखित और सम्‍पादित ग्रन्‍थों की संख्या 40 से अधिक है, जिनमें से अनेक ग्रन्‍थों का अनुवाद चीनी, रूसी, जर्मन, जापानी और अन्य विदेशी भाषाओं में हो चुका है। उनके कुछ महत्त्वपूर्ण प्रकाशन हैं : ‘लोकायत’, ‘ह्वाट इज़ लिविंग एंड ह्वाट इज़ डेड इन इंडियन फ़‍िलॉसफ़ी’, ‘इंडियन एथीज़्म’, ‘साइंस एंड सोसायटी इन एनशिएंट इंडिया’, ‘इंडियन फ़‍िलॉसफ़ी’, ‘हिस्ट्री ऑफ़ साइंस एंड टेक्नोलॉजी इन एनशिएंट इंडिया’, ‘द बिगिनिंग्स’ आदि।

निधन : 8 मई, 1993

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top