Kachchh Katha

Edition: 2022, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Sarthak (An imprint of Rajkamal Prakashan)
As low as ₹224.25 Regular Price ₹299.00
25% Off
In stock
SKU
Kachchh Katha
- +
Share:

‘कच्छ कथा’ बीते दो सौ वर्षों में दो भीषण भूकम्प झेल चुके कच्छ की वास्तविक झलक सामने लाती है। यह किताब घुमन्तू स्वभाव के पत्रकार अभिषेक श्रीवास्तव की पिछले ग्यारह साल के दौरान कच्छ क्षेत्र में बार-बार की गई यात्राओं से हासिल उनकी जानकारियों और समझ का कुलजमा है। इस रोमांचक यात्रा-आख्यान में वह सब तो है ही जो कच्छ के भूगोल में आँखों से सहज दिखाई देता है, बल्कि वह भी है जिसे देखने के लिए सिर्फ़ आँखों की नहीं, नज़र की ज़रूरत पड़ती है। इसमें समाज और संस्कृति की जितनी शिनाख़्त है, उतनी ही सियासत की पड़ताल भी; अतीत और इतिहास का जितना उत्खनन है, उतना ही मिथकों-मान्यताओं का विश्लेषण भी; जितनी चिन्ता विरासत की है, उतना बहस विकास को लेकर भी है; गुज़रे समय के‌ निशानों की रौशनी में आने वाले समय की सूरत का अनुमान भी इस पुस्तक में है।

हज़ारों साल पुरानी सभ्यता का पालना रहे धोलावीरा से लेकर लखपत तक, नाथपन्थी गुरु धोरमनाथ से लेकर आकबानी तक, शासक महारावों से लेकर नमक की खेती में लगे मज़दूरों तक; अनगिनत जगहों, स्मारकों और लोगों का वृत्तान्त समेटे यह किताब जितना कच्छ के बारे में है, उतना ही गुजरात और हिन्दुस्तान के बारे में भी।

वास्तव में यह किताब एक ऐसी टाइममशीन की तरह सामने आई है जो पूर्णिमा की रात में चमकते नमक के अछोर मैदान के रूप में मशहूर कच्छ के हवाले से हमें हमारे सुदूर अतीत के साथ-साथ आने वाले दौर की भी यात्रा कराती है।

सरस, प्रवाहपूर्ण भाषा और दिलचस्प अन्दाज़ में एक अविस्मरणीय कृति।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2022
Edition Year 2022, Ed. 1st
Pages 264p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Sarthak (An imprint of Rajkamal Prakashan)
Dimensions 22.5 X 14.5 X 2.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Kachchh Katha
Your Rating
Abhishek Srivastava

Author: Abhishek Srivastava

अभिषेक श्रीवास्तव

स्वभाव से घुमक्कड़ अभिषेक श्रीवास्तव ने काशी हिंदू विश्‍वविद्यालय से गणित और भारतीय जनसंचार संस्थान से पत्रकारिता की पढ़ाई की है। अपने कैरियर के शुरूआती दस साल मीडिया संस्थानों में नौकरी को देने के बाद पिछले दस सालों से उन्होंने अनुवाद और स्वतंत्र लेखन को ही अपने जीवनयापन का रास्ता बना लिया है। उनके अनूठे अनुवाद में जॉर्ज ऑरवेल का विश्वप्रसिद्ध उपन्यास ‘1984’ राजकमल से प्रकाशित है। 'कच्छ कथा' उनका पहला यात्रा-आख्यान है।

Read More
Books by this Author
New Releases
Back to Top