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Edition: 2022, Ed. 3rd
Language: Hindi
Publisher: Funda (An imprint of Radhakrishna Prakashan)
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नब्बे का दशक सामाजिक और राजनीतिक मूल्यों के लिए इस मायने में निर्णायक साबित हुआ कि अब तक के कई भीतरी विधि-निषेध इस दौर में आकर अपना असर अन्तत: खो बैठे। जीवन के दैनिक क्रियाकलाप में उनकी उपयोगिता को सन्दिग्ध पहले से ही महसूस किया जा रहा था लेकिन अब आकर जब खुले बाज़ार के चलते विश्व-भर की नैतिकताएँ एक दूसरे के सामने खड़ी हो गईं और एक दूसरे की निगाह से अपना मूल्यांकन करने लगीं तो सभी को अपना बहुत कुछ व्यर्थ लगने लगा और इसके चलते जो अब तक खोया था, उसे पाने की हताशा सर चढ़कर बोलने लगी।

मंडल के बाद जाति जिस तरह भारतीय समाज में एक नए विमर्श का बाना धरकर वापस आई, वह सत्तर और अस्सी के सामाजिक आदर्शवाद के लिए अकल्पनीय था। वृहत् विचारों की जगह अब जातियों के आधार पर अपनी अस्मिता की खोज होने लगी और राजनीति पहले जहाँ जातीय समीकरणों को वोटों में बदलने के लिए चुपके-चुपके गाँव की शरण लिया करती थी, उसका मौक़ा उसे अब शिक्षा के आधुनिक केन्द्रों में भी, खुलेआम मिलने लगा।

यह उपन्यास ऐसे ही एक शिक्षण-संस्थान के नए युवा की नई ज़ुबान और नई रफ़्तार में लिखी कहानी है। बड़े स्तर की राजनीति द्वारा छात्रशक्ति का दुरुपयोग, छात्रों के अपने जातिगत अहंकारों की लड़ाई, प्रेम त्रिकोण, छात्र-चुनाव, हिंसा, साज़‍िशें, हत्याएँ, बलात्कार जैसे इन सभी कहानियों के स्थायी चित्र बन गए हैं, वह सब इस उपन्यास में भी है और उसे इतने प्रामाणिक ढंग से चित्रित किया गया है कि ख़ुद ही हम यह सोचने पर बाध्य हो जाते हैं कि अस्मिताओं की पहचान और विचार के विकेन्द्रीकरण को हमने सोवियत संघ के विघटन के बाद जितनी उम्मीद से देखा था, कहीं वह कोई बहुत बड़ा भटकाव तो नहीं था? लेकिन अच्छी बात यह है कि इक्कीसवीं सदी के डेढ़ दशक बीत जाने के बाद अब उस भटकाव का आत्मविश्वास कम होने लगा है और नई पीढ़ी एक बड़े फ़लक पर, ज़्यादा वयस्क और विस्तृत सोच की खोज करती दिखाई दे रही है।

More Information
Language Hindi
Binding Paper Back
Publication Year 2018
Edition Year 2022, Ed. 3rd
Pages 207p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Funda (An imprint of Radhakrishna Prakashan)
Dimensions 22 X 14 X 2
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Naveen Chaudhary

Author: Naveen Chaudhary

नवीन  चौधरी

बिहार के मधुबनी ज़िले में जन्मे, जयपुर में पले-बढ़े और वर्तमान में नोएडा में रह रहे नवीन चौधरी मार्केटिंग प्रोफ़ेशनल हैं। ब्लॉगिंग के ज़रिए लेखन क्षेत्र में आए नवीन का छात्र राजनीति पर आधारित पहला उपन्यास 'जनता स्टोर' दैनिक जागरण-नील्सन की टॉप 10 हिन्दी बेस्टसेलर लिस्ट में रहा है। इनके लेख और व्यंग्य अख़बारों एवं न्यूज़ वेबसाइट्स में प्रकाशित होते रहे हैं। वे दैनिक भास्कर, आदित्य बिड़ला ग्रुप, दैनिक जागरण और ऑक्सफोर्ड युनिवर्सिटी प्रेस के ब्रांड एवं मार्केटिंग विभाग में विभिन्न पदों पर काम कर चुके हैं। वर्तमान में मार्केटिंग कंसल्टेंसी के अतिरिक्त ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए स्क्रीनप्ले भी लिख रहे हैं।
सम्पर्क : naveen2999@gmail.com; www.naveenchoudhary.com

 

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