Jadoo Ka Kaleen-Paper Back

Author: Mridula Garg
ISBN: 9788126728886
Edition: 2024, Ed. 4th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
Special Price ₹112.50 Regular Price ₹125.00
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9788126728886
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राजनीतिक, प्रशासनिक भ्रष्टाचार के पूरे तंत्र को खोलनेवाला, बच्चों की चीख़-सा दर्दनाक नाटक ‘जादू का कालीन’ ‘ऐसा एक पेच है’ जहाँ सब मिलकर हमारी निर्ममता को बेनक़ाब करते हैं इसमें पात्र बच्चे हैं पर नाटक वयस्कों के लिए है क्योंकि वही हैं जिन्हें इस निर्ममता का प्रतिकार करना है

सारी विसंगति मानवीय विडम्बना, पाखंड के बीच मृदुला गर्ग ने फैंटेसी की लय को पकड़ा है यह उनकी नाट्यकला का नमूना है कि वे निर्ममताओं के बीच बच्चों की उड़नछू प्रवृत्ति को नहीं भूलतींजिस कालीन को बुनना उनके शोषण का माध्यम है, बच्चे उसी को जादू का कालीन बतलाकर कहते हैं कि वे उस पर बैठकर उड़नछू हो जाएँगे एक...दो...तीन उठमउठू : तीन...दो...एक भरनभरू : एक दो तीन...उड़नछू! यह गीत मुक्ति का मन्तर बन जाता है, जो पूरे नाटक में आशा के स्वर की तरह गूँजता है नाटक में मृदुला जी ने लोक का कथात्मक स्वर भी बख़ूबी जोड़ा है इस नाटक को 1993 में मध्य प्रदेश साहित्य परिषद् का ‘सेठ गोविन्द दास पुरस्कार’ मिल चूका है

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2015
Edition Year 2024, Ed. 4th
Pages 87p
Price ₹125.00
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21.5 X 14 X 0.6
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Mridula Garg

Author: Mridula Garg

मृदुला गर्ग

मृदुला गर्ग के रचना-संसार में लगभग सभी गद्य विधाएँ सम्मिलित हैं। उपन्यास, कहानी, नाटक, निबन्ध, यात्रा-संस्मरण, कटाक्ष आदि।

प्रकाशित पुस्तकें : ‘उसके हिस्से की धूप’, ‘वंशज’, ‘चित्तकोबरा’, ‘अनित्य’, ‘मैं और मैं’, ‘कठगुलाब’, ‘मिलजुल मन’ और ‘वसु का कुटुम’ (उपन्यास); कुल प्रकाशित कहानियाँ—90, जिनको लेकर 2003 तक प्रकाशित 8 कहानी-संग्रहों की सम्पूर्ण कहानियों की पुस्तक ‘संगति-विसंगति’ नाम से प्रकाशित; ‘एक और अजनबी’, ‘जादू का कालीन’, ‘साम दाम दण्ड भेद’, ‘क़ैद-दर-क़ैद’ (नाटक); ‘रंग-ढंग’, ‘चुकते नहीं सवाल’, ‘कृति और कृतिकार’ (निबन्ध-संग्रह); ‘मेरे साक्षात्कार’ (साक्षात्कार), ‘कुछ अटके कुछ भटके’ (यात्रा-संस्मरण); ‘कर लेंगे सब हज़म’, ‘खेद नहीं है’ (व्यंग्य-संग्रह)।

अनूदित कृतियाँ : ‘चित्तकोबरा’  ‘द जि‍फ़्लेक्टे कोबरा’ नाम से जर्मन में तथा ‘चित्तकोबरा’ नाम से अॅंग्रेज़ी में प्रकाशित। रूसी में ‘कोबरा मोएगो रज़ूमा’ नाम से अनूदित। ‘कठगुलाब’ ‘कन्ट्री ऑफ़ गुड्बाइज़’ नाम से अंग्रेज़ी में, ‘कठगुलाब’ शीर्षक से मराठी और मलयालम में और ‘वुडरोज़’ नाम से जापानी में प्रकाशित। ‘अनित्य’ ‘अनित्य हाफ़वे टु नोवेह्यर’ नाम से अंग्रेज़ी में और ‘अनित्य’ नाम से मराठी में प्रकाशित। अनेक कहानियाँ अंग्रेज़ी, जर्मन, चेक, जापानी व भारतीय भाषाओं में अनूदित। ‘मिलजुल मन’ उर्दू, पंजाबी, राजस्थानी, तमिल और तेलुगू में अनूदित। ‘मैं और मैं’ मराठी में अनूदित।

पुरस्कार/सम्मान : अनेक पुरस्कारों के साथ ‘कठगुलाब’ को ‘व्यास सम्मान’, ‘मिलजुल मन’ को ‘साहित्य अकादेमी पुरस्कार’, ‘उसके हिस्से की धूप’ को मध्य प्रदेश का ‘अखिल भारतीय वीरसिंह सम्मान’, ‘जादू का कालीन’ को मध्य प्रदेश का ही ‘अखिल भारतीय सेठ गोविन्द दास सम्मान’।

‘कठगुलाब’ दिल्ली विश्वविद्यालय के बी.ए. पाठ्यक्रम तथा कई विश्वविद्यालयों में स्त्री-रचना/विमर्श पाठ्यक्रमों में शामिल है।

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