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Itishri

Author: Somnathan
Edition: 2013, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Lokbharti Prakashan
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Itishri

‘एक बार अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति अब्राहम लिंकन सीनेट जा रहे थे। रास्ते में उन्होंने एक जगह देखा, सड़क की बग़ल में दलदल में फँसा एक आदमी दलदल से निकलने का प्रयास कर रहा था, किन्तु वह दलदल में और भी धँसता जा रहा था, तब अब्राहम लिंकन स्वयं कीचड़ में घुसकर, उस आदमी का हाथ पकड़कर उसे दलदल से बाहर ले आए। देखनेवालों ने आश्चर्य व्यक्त किया, तो अब्राहम लिंकन ने उनसे कहा, इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं। मैंने यह काम अपने मन की पीड़ा शान्त करने के लिए ही किया। इस आदमी को दलदल में छटपटाते देखकर मेरा मन भी छटपटाने लगा था।...आशा है, आप लोग मेरा मन्‍तव्य समझ गए होंगे। अच्छा, अब विदा।’

‘इतिश्री’ के डॉ. राजगोपाल के ड्राइवर श्याम ने इसी मन्तव्य से उत्प्रेरित होकर अपने मालिक के परिवार के लिए वह काम कर दिखाया जिसे बड़े-बड़े लोग भी शायद ही कर सकें।

वस्तु की दृष्टि से यह अभूतपूर्व है। अपनी तमाम ख़ूबियों से युक्‍त यह नाटक मंचन और पाठ दोनों के लिए समान रूप से महत्‍त्‍वपूर्ण है।

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Language Hindi
Binding Hard Back
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publication Year 2013
Edition Year 2013, Ed. 1st
Pages 101p
Publisher Lokbharti Prakashan
Dimensions 18 X 12.5 X 1
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Author: Somnathan

सोमनाथन

प्रो. के.एस. सोमनाथन का जन्म केरल के कोट्टयम ज़िले में सन् 1942 में हुआ। 1964 में इन्होंने हिन्दी साहित्य में एम.ए. किया। इसके बाद एक प्राध्यापक के रूप में इनकी नियुक्ति एन.एस. कॉलेज, चंगनाशेरी में हुई।

इनकी प्रमुख पुस्तकें हैं—‘अभिशप्त माताएँ’ (एकांकी-संग्रह); ‘आहुति’ (नाटक); ‘सम्भवामि युगे-युगे’ (मलयालम से अनूदित)।

श्री नायर केन्द्रीय हिन्दी निदेशालय आदि द्वारा पुरस्कृत किए जा चुके हैं।

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