Indradhanush Ke Pichhe Pichhe

Author: R. Anuradha
Edition: 2005, Ed. 1st
Language: Hindi
Publisher: Radhakrishna Prakashan
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Indradhanush Ke Pichhe Pichhe
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लगभग छह साल पहले एक रोज़ अचानक लेखिका को पता चला कि उन्हें ब्रेस्ट कैंसर है। कैंसर जैसी बीमारी ट्यूमर चौथे स्टेज में और उसका विस्तार बगल के लिंफ नोड्स में भी। मृत्यु से इससे निकट का साक्षात्कार शायद और कुछ नहीं हो सकता। इस बीमारी ने लेखिका की दुनिया बदल दी, लेकिन उन्होंने इस जीवन का अन्त मानने से इनकार कर दिया।

लेखिका की राय में कैंसर को दुश्मन मानकर उससे किसी बाहरी संक्रमण की तरह नहीं लड़ा जा सकता। आख़िर यह एक ऐसी बीमारी है जो बाहर से नहीं आती। इसके कारण हमारे-आपके शरीर के अन्दर होते हैं।

यह किताब मृत्यु पर जीवन की विजय की कहानी है और असम्भव मान ली गई स्थितियों में जीने का सलीक़ा सिखाती है। कैंसर का पता चलने से लेकर इलाज के दौरान हुए प्रसंगों और अनुभवों को इसमें समेटा गया है। इसके सभी पात्र और घटनाएँ वास्तविक हैं, लेकिन पहचान छिपाने के लिए कुछ पात्रों के नाम बदल दिए गए हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 2005
Edition Year 2005, Ed. 1st
Pages 159p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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R. Anuradha

Author: R. Anuradha

आर. अनुराधा

जन्म : 11 अक्टूबर, 1967 को मध्यप्रदेश (अब छत्तीसगढ़) के बिलासपुर ज़‍िले में।

छह महीने की उम्र में परिवार जबलपुर आ गया। तब से लेकर नौकरी के लिए दिल्ली आकर बसने तक का जीवन वहीं बीता।

दक्षिण भारतीय परिवार में जन्म के बावजूद हिन्दी भाषा और अपने हिन्दी भाषी प्रदेश से जुड़ाव ज्‍़यादा रहा। जीव विज्ञान में डिग्री के बाद शुरू से ही पढ़ने-लिखने में रुचि की वजह से पत्रकारिता की ओर क़दम बढ़ाया। जबलपुर के रानी दुर्गावती विश्वविद्यालय से पत्रकारिता और संचार में उपाधि, समाजशास्त्र में स्नातकोत्तर। दिल्ली में बाल-पत्रिका ‘चम्पक’ में कुछ महीनों की उप-सम्पादकी के बाद टाइम्स प्रकाशन समूह में सामाजिक पत्रकारिता में प्रशिक्षण और स्नातकोत्तर डिप्लोमा। हिन्दी अख़बार ‘दैनिक जागरण’ में कुछ महीने उप-सम्पादक। 1991 में भारतीय सूचना सेवा में प्रवेश। पत्र सूचना कार्यालय में लम्बा समय बिताने और फिर कोई तीन साल डीडी न्यूज़ में समाचार सम्पादक की भूमिका निभाने के बाद दिसम्बर, 2006 से प्रकाशन विभाग, सूचना और प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार में सम्पादक।

बाल साहित्य, विज्ञान और समाज से जुड़े विविध विषयों पर 25 पुस्तकों का सम्पादन। कैंसर से अपनी पहली लड़ाई पर बहुचर्चित आत्मकथात्मक पुस्तक—‘इन्द्रधनुष के पीछे-पीछे : एक कैंसर विजेता की डायरी’ राधाकृष्ण प्रकाशन से 2005 में प्रकाशित। इसका गुजराती में अनुवाद साहित्य संगम प्रकाशन, सूरत से प्रकाशित। बांग्ला में भी अनुवाद। पत्रकारिता के महारथी सुरेन्द्र प्रताप सिंह के आलेखों का पहला संकलन-सम्पादन ‘पत्रकारिता का महानायक : सुरेन्द्र प्रताप सिंह’ (संचयन) राजकमल प्रकाशन से 2011 में प्रकाशित। विभिन्न महत्त्वपूर्ण पत्र-पत्रिकाओं में विशेष रूप से विज्ञान, समाज और महिलाओं से जुड़े विषयों पर सतत लेखन। प्रकाशन विभाग की राष्ट्रीय और मंत्रालय स्तर पर पुरस्कृत गृहपत्रिका ‘प्रकाश भारती’ के सम्पादक-मंडल में। कैंसर-जागरूकता के कार्य हेतु उत्तर प्रदेशीय महिला मंच का ‘हिन्दप्रभा पुरस्कार—2010’ से सम्‍मानित।

निधन : 2014 में।

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