Hindustan Mein Jaat Satta

History
Author: Jan Dalosh
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Hindustan Mein Jaat Satta

मुग़ल साम्राज्य की अवनति के बारे में उपलब्ध यूरोपीय प्रलेखों में पादरी एफ.एक्स. वैदेल द्वारा फ़्रेंच भाषा में लिखित वृत्त-लेखों का महत्‍त्‍वपूर्ण स्थान है। टीफैनथेलर और मोदाव के समकालीन वैदेल ने उत्तर भारत के राजनीतिक मामलों के सम्बन्ध में बहुत कुछ लिखा है। उसमें जाट-सत्ता सम्बन्धी वृत्त-लेख प्राथमिक स्रोत होने के कारण सबसे मूल्यवान हैं। ये वृत्तलेख मुग़ल राजतंत्र की तत्कालीन स्थिति और मुग़ल साम्राज्य के पतन में जाटों की भूमिका को समझने के लिए एक ऐतिहासिक दस्तावेज़ हैं।

वस्तुत: वैदेल धर्मप्रचारक के छद्‌म वेश में अंग्रेज़ों के लिए तत्कालीन शक्तिशाली जाट-शक्ति की जासूसी कर रहा था। आभिजात्य संस्कार वाला वैदेल जब किसी भारतीय घटना, वस्तु या व्यक्ति के किसी एक पक्ष की सूचना देता है तो वह व्यक्तिनिष्ठ अवधारणा के वशीभूत होकर उनको यूरोपीय मानदंड से परखता है और भारतीयों को हेयदृष्टि से देखता है। परन्तु जब वह परिस्थिति, घटना और व्यक्तियों का उनकी समग्रता में वस्तुनिष्ठ मूल्यांकन करता है तो वह तीक्ष्‍ण बुद्धिवाला विश्लेषक दृष्टिगोचर होता है। इतिहासकारों की तथ्य-अन्वेषक दृष्टि इस अन्तर को समझकर, पूर्वग्रह के झीने परदे को हटाकर इन तर्कसंगत विश्लेषणों को खोज लेती है। तत्कालीन मुख्य घटनाओं के ये विश्लेषण इतिहास की थाती हैं। इसी प्रकार वैदेल ने मुग़ल साम्राज्य के पतन के ज़‍िम्मेदार मुहम्मदशाह, अहमदशाह आदि अयोग्य शासकों, गुटबन्दी में लिप्त सफ़दरजंग, ग़ाज़ीउद्दीन ख़ाँ और नजीबुद्दौला, उनके स्वार्थी वजीरों तथा जाट-शक्ति के उन्नायक बदनसिंह, सूरजमल उघैर जवाहरसिंह के चरित्रों का उनकी समग्रता में मूल्यांकन करने में सफलता प्राप्त की है। संक्षेप में, वैदेल ने अठारहवीं सदी के उत्तरार्द्ध में पश्चिमोत्तर भारत की मुख्य रूप से मुग़ल और जाट-शक्तियों के साथ-साथ मराठा, सिख एवं राजपूतों की राजनैतिक शक्तियों की रूपरेखाओं का अंकन करने में भी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई है। तत्कालीन सामान्य अवनति और राजनैतिक अस्थिरता के परिदृश्य में वैभवशाली जाट-सत्ता के कृषि-आधारित आर्थिक विकास के कारण सामाजिक एवं सांस्कृतिक परिवर्तन के शोध के लिए भी वैदेल ने पर्याप्त सामग्री उपलब्ध कराई है, जिसकी ओर विद्वानों का अभी तक ध्यान नहीं गया है।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2001
Edition Year 2016, Ed. 3rd
Pages 240P
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22.5 X 14 X 2
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Editorial Review

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Jan Dalosh

Author: Jan Dalosh

अशोक शाह

बिहार के सीवान में जन्म। शिक्षा आई.आई.टी. कानपुर एवं आई.आई.टी. दिल्ली से प्राप्त करने के उपरान्त एक वर्ष तक भारतीय रेलवे इंजिनियरिंग सेवा में कार्य किया। 1990 में भारतीय प्रशासनिक सेवा में पदार्पण कर मध्य प्रदेश के 10 से अधिक जिलों में विभिन्न पदों पर कार्य किया।

प्रकशित कृतियाँ : ‘माँ के छोटे घर के लिए’, ‘उनके सपने सच हों’, ‘समय मेरा घर है’, ‘समय की पीठ पर हस्ताक्षर है दुनिया’, ‘समय के पार चलो’, ‘पिता का आकाश’, ‘जंगल राग’, ‘अनुभव का मुँह पीछे है’, ‘ब्रह्मांड एक आवाज़ है’, ‘उफ़क़ के पार’, ‘कहानी एक कही हुई’, ‘उसी मोड़ पर तथा जब बोलना ज़रूरी हो’ (कविता संग्रह); ‘The Grandeur of Granite : Shiva-Yogini Temples of Vyas Bhadora, Ashapuri : The Cradle of Paramara and Pratihara Art : Temples Unveiled’ (पुरातत्त्व); ‘Total Eternal Reflection’ (दर्शन एवं अध्यात्म)।

सम्पादन : 'बैगानी शब्दकोश', 'भिलाली शब्दकोश', 'बारेली शब्दकोश', 'पारम्परिक बैगानी गीत', 'हिरौदी मुंदरी बैगानी मौखिक कथाएँ', 'ढंगना बैगा चित्रांकन परम्परा', 'जनजातीय चित्रशिल्प', 'प्रकृति पूजा का पर्व इंदल', 'मध्य प्रदेश की जनजातियाँ', 'अगरिया'।

अनियतकालीन लघु पत्रिका 'यावत्' का सम्पादन।

सम्प्रति : भारतीय प्रशासनिक सेवा में।

सम्पर्क : डी-एक्स, बी-2, चार इमली, भोपाल।

ई-मेल : ashokshah7@ymail.com

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