Ghoonghat Ke Pat Khol

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Ghoonghat Ke Pat Khol

‘घूँघट के पट खोल’ व्यंग्य-रचनाओं का संकलन है जो जीवन तथा समाज के अलग-अलग पहलुओं को विषय बनाकर लिखे गए हैं। हास्य के साथ-साथ विचार के लिए प्रेरित करनेवाले व्यंग्य-निबन्ध मौजूदा समय की वास्तविकताओं को भी एक अलग अन्दाज़ में देखते हैं।

मिसाल के तौर पर पहला ही व्यंग्य प्रेमचन्द के मशहूर पात्रों अलगू चौधरी और जुम्मन शेख को आज के ग्रामीण परिदृश्य में ले आता है, जहाँ आज़ादी के बाद लोकतांत्रिक राजनीति का एक स्थानीय संस्करण पनपा है। इसमें अलगू और जुम्मन की अलग-अलग पार्टियाँ हैं जिनमें एक-दूसरे को नीचा दिखाने की होड़ चलती रहती है।

नाई की दुकान में ‘विमान अपहरण की योजना’ का हास्य, ‘फ़ाइलें बतर्ज नायिका-भेद’ में सरकारी दफ़्तरों की लाल फीताशाही का व्यंग्यात्मक विश्लेषण, किसी शहरी कान्वेंटी की किशोर द्वारा लिखा गया ‘एक निबन्ध गाँव पर’—ऐसी कई चुटीली रचनाएँ इस पुस्तक में संकलित हैं जो आपको हँसाते-हँसाते सोचने पर मजबूर कर देंगी। इश्क़-मुहब्बत से लेकर संस्कृति, शिक्षा प्रणाली, परीक्षाएँ, साहित्य, सिनेमा तक लगभग हर विषय पर लेखक ने इसमें व्यंग्य-प्रहार किए हैं।

लोककला उत्सवों की विसंगतियों पर ये पंक्तियाँ देखें : ‘जो कलाकार हैं वे अपने उदर-पोषण के लिए सड़क किनारे गिट्टी फोड़ रहे हैं। अफ़सरों से लदी सरकारी जीत उन पर धूल उड़ाती हुई ‘लोक-कला’ खोज रही है।’

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 1991
Edition Year 2001, Ed. 2nd
Pages 168p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 18.5 X 11.5 X 1
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Ashwini kumar Dubey

Author: Ashwini kumar Dubey

अश्विनीकुमार दुबे

जन्म : 24 जुलाई, 1956; पन्ना (मध्य प्रदेश)।

इंजीनियरिंग सेवा से सेवानिवृत्त।

कृतियाँ : ‘घूँघट के पट खोल’, ‘शहर बन्द है’, ‘अटैची संस्कृति’, ‘अपने-अपने लोकतंत्र’, ‘फ्रेम से बड़ी तस्वीर’, ‘कदम्ब का पेड़’ (चयनित व्यंग्य रचनाएँ); ‘चुनी हुई व्यंग्य रचनाएँ’ (व्यंग्य-संग्रह); ‘शेष अन्त में’, ‘जाने-अनजाने दु:ख’, ‘स्वप्नदर्शी’ (उपन्यास); ‘एक और प्रेमकथा’ (कहानी-संग्रह )।

1970 से विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कहानियाँ, उपन्यास, व्यंग्य, निबन्ध, नाटक, पटकथा, रेडियो रूपक, डायरी, रिपोर्ताज़, संस्मरण आदि प्रकाशित।

सम्पादन : 'अमृत दर्पण’ त्रैमासिक।

पुरस्कार : ‘भारतेन्दु पुरस्कार’, ‘अम्बिकाप्रसाद दिव्य पुरस्कार’, ‘स्पेनिन सम्मान’।

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