कहने और सुनने की कला मुझे अपनी दादी और माँ से मिली। उनकी हर कहानी को मैंने कई-कई बार सुना और उन्होंने कई-कई बार उतने ही प्यार से सुनाया और हर बार सुनाने में वह वैसे ही अपने आप में खो गई जैसे कि मैं पहली बार सुन रही हूँ और वह पहली बार सुना रही हैं। मैंने उनसे कहानी देखना भी सीखा, सुनना और कहना भी और बाद में जीना भी।

यह पुस्तक मिस सरोज भसीन को भी अर्पित है जिन्होंने मुझे मेरी पहली कहानी लिखने के लिए उत्साहित किया और मेरे ताया जी यशपाल को, जिन्हें मेरे लिख पाने में पूरा विश्वास था। फुलकारी पर फूल-पत्तियाँ काढ़ने का तरीक़ा और रिवाज़ तो सैकड़ों सालों से है। इन्हें काढ़ते यह औरतें, न जाने आपस में कितनी बातें करतीं और अकेली हों तो अपने आप से भी। कभी गुनगुना भी लेती हैं और कभी आँखें पोंछ लेतीं।

इन कहानियों को मैंने बहुत-सी अपनी जैसी और बहुत-सी अपने से अलग औरतों के साथ काढ़ा है। ये वे मुलाक़ातें और बातें हैं जहाँ मैंने अपने जाने-पहचाने सच से अलग सच को जाना है। असल में न्याय, सच, उचित, अनुचित की परिभाषा हमें बहुत संकुचित सीमा में बाँधती रहती है। मैंने जाना कि ज़िन्दगी एक कॉमन सिविल लॉ से कहीं ज़्यादा अद्भुत है। बस मेरे लिए इतना ही काफ़ी है कहानी लिखने को।

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Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2009
Edition Year 2009, Ed. 1st
Pages 146p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 1.5
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Gogi Saroj Pal

Author: Gogi Saroj Pal

गोगी सरोज पाल

सबकी इच्छा पूर्ण करने वाली ‘कामधेनु’ की इच्छा जानने की जिज्ञासा ही गोगी को उनके समकालीन कलाकारों से अलग करती है। 3 अक्टूबर,1945 में निओली (उ.प्र.) में जन्मी गोगी सरोज पाल की शिक्षा बनस्थली कॉलेज ऑफ आर्ट, लखनऊ तथा कॉलेज ऑफ आर्ट, नई दिल्ली में हुई। कलाकार के रूप में अपनी रचनात्मकता की सम्पूर्ण अभिव्यक्ति के लिए आपने हर सम्भव माध्यम में काम किया और अपनी पहचान छोड़ी है। अभी तक आप पेंटिंग, शिल्प, ग्राफिक, प्रिंट, सेरामिक्स, इंस्टालेशन, बुनाई, फोटोग्राफी और कम्प्यूटर के अलावा लेखन के क्षेत्र में भी काम कर चुकी हैं।

1965 से अभी तक आपकी 41 एकल प्रदर्शनियाँ आयोजित हो चुकी हैं। इसके अलावा 41 विदेशों में तथा भारत में आयोजित 150 प्रदर्शनियों में आपका काम शामिल रहा है। भारत, जर्मनी, इंग्लैंड और अमेरिका में इंस्टालेशन के माध्यम से सराहनीय कार्य।

सम्मान : क्लीवलैंड ड्राईंग बिनाले (यू.के.); राष्ट्रीय पुरस्कार (पेंटिंग), ललित कला अकादमी, नई दिल्ली; अल्जीयर्स में अन्तर्राष्ट्रीय बिनाले ऑफ प्लास्टिक आर्ट्स के सम्मानों के अलावा संस्कृति अवार्ड, नई दिल्ली।

निधन : 27 जनवरी, 2024

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