Do Khirkiyan

Author: Amrita Preetam
Translator: Shanta
Edition: 2018, Ed. 8th
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Do Khirkiyan

‘दो खिड़कियाँ’ में पंजाबी की सुप्रसिद्ध लेखिका अमृता प्रीतम की मर्मस्पर्शी रचनाएँ संग्रहीत हैं। इनमें सात कहानियाँ, एक लघु उपन्यास और सबसे अन्‍त में एक ऐसा प्रयोग है जिसमें दुनिया के नौ उपन्यासों में से नौ पात्र चुनकर उनकी मनोदशा को समझने की कोशिश की गई है—हर पात्र की आत्मा में पैठकर।

‘दो खिड़कियाँ’ जिसके आधार पर इस संग्रह का नामकरण हुआ है, दुनिया के निज़ाम पर भयानक व्यंग्य करती हुई कहानी है। इसकी नायिका के शब्द उसके कमरे की सामनेवाली खिड़की में से निकलकर बाहर सड़क पर चले गए हैं और अर्थ पिछली खिड़की में से निकलकर जंगल में खो गए हैं। छह अन्य कहानियों में स्त्री और स्त्री के रिश्ते का विश्लेषण है। इन छहों कहानियों का शीर्षक एक ही है—‘दो औरतें’। ‘पक्की हवेली’ शीर्षक लघु उपन्यास में भूत-प्रेतों वाली एक हवेली का दर्द एक छोटी-सी बच्ची की ज़बानी है जो मनुष्य के मन की गुत्थियों को समझने में असमर्थ है पर डरती-काँपती और रोती उसको समझने का प्रयत्न करती है।

संग्रह की सारी रचनाएँ अमृता प्रीतम की स्वभावगत भावुकता से ओत-प्रोत हैं और मन पर बड़ा कवित्वमय प्रभाव छोड़ती हैं।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back, Paper Back
Publication Year 1971
Edition Year 2018, Ed. 8th
Pages 128p
Translator Shanta
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 19 X 13 X 1
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Amrita Preetam

Author: Amrita Preetam

अमृता प्रीतम

जन्म : 31 अगस्त, 1919; गुजराँवाला (पंजाब)।

बचपन और शिक्षा लाहौर में। किशोरावस्था से ही काव्य-रचना की ओर प्रवृत्ति। बँटवारे से पहले लाहौर से प्रकाशित होनेवाली मासिक पत्रिका 'नई दुनिया' का सम्पादन किया, फिर 'नागमणि' नामक पंजाबी मासिक निकाला। कुछ दिनों तक आकाशवाणी, दिल्ली से सम्बद्ध रहीं। 1956 में ‘साहित्य अकादमी पुरस्कार’ से सम्मानित और 1958 में पंजाब सरकार के भाषा-विभाग द्वारा पुरस्कृत। 1961 में सोवियत लेखक संघ के निमंत्रण पर मास्को-यात्रा, फिर मई, 1966 में बलगारिया लेखक संघ के निमंत्रण पर बलगारिया की यात्रा। ‘ज्ञानपीठ पुरस्कार’ से सम्मानित।

अब तक तीन दर्जन से अधिक पुस्तकें मूल पंजाबी में प्रकाशित, जिनमें से दो-तीन को छोड़कर प्राय: सभी पुस्तकों के हिन्दी अनुवाद। कुछ अन्य भारतीय भाषाओं के अतिरिक्त रूसी, जर्मन आदि यूरोपीय भाषाओं में भी अनूदित।

प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें : ‘धूप का टुकड़ा’, ‘काग़ज़ और कैनवस’ (कविता-संग्रह); ‘रसीदी टिकट’, ‘दस्तावेज़’ (आत्मकथा); ‘डॉक्टर देव’, ‘पिंजर’, ‘घोंसला’, ‘एक सवाल’, ‘बुलावा’, ‘बन्द दरवाज़ा’, ‘रंग का पत्ता’, ‘एक थी अनीता’, ‘धरती, सागर और सीपियाँ’, ‘दिल्ली की गलियाँ’, ‘जलावतन’, ‘जेबकतरे’, ‘पक्की हवेली’, ‘आग की लकीर’, ‘कोई नहीं जानता’, ‘यह सच है’, ‘एक ख़ाली जगह’, ‘तेरहवाँ सूरज’, ‘उनचास दिन’, ‘कोरे काग़ज़’, ‘हरदत्त का ज़ि‍न्दगीनामा’ इत्यादि (उपन्यास); ‘अन्तिम पत्र’, ‘लाल मिर्च’, ‘एक लड़की एक जाम’, ‘दो खिड़कियाँ’, ‘हीरे की कनी’, ‘पाँच बरस लम्बी सड़क’, ‘एक शहर की मौत’, ‘तीसरी औरत’, ‘यह कहानी नहीं’, ‘अक्षरों की छाया में’ आदि (कहानी-संग्रह)।

निधन : 31 अक्टूबर, 2005

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