Chalte Rahe Raat Bhar

Author: Rakesh Mishra
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Chalte Rahe Raat Bhar
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राकेश मिश्र की कविताएँ दैनिक जीवन में प्रयुक्त साधारण बिम्बों के द्वारा मानवीय संघर्ष की तस्वीरें खींचती हैं। कविता की छोटी-छोटी पंक्तियों में वे सामाजिक विसंगतियों एवं निरावृत सत्य का एक पूरा परिदृश्य अंकित करते हैं। इस दृष्टि से 'रोटियाँ’ शीर्षक कविता विशेष रूप से चिन्तनीय बन पड़ी है—'बाँध दो/सूखी रोटियाँ/कँटीले तारों से/पोत दो/मक्खन/सूखी रोटियाँ/नंगी हों/तो/दस्तावेज़ होती हैं/हमारी बेईमान आदमीयत की’। इस तरह मिश्र जी मनुष्य के मूलभूत संघर्ष, दु:ख-दर्द और उसकी नियति की सही पहचान रखते हैं। वे अपने आस-पास की सारी जानी हुई चीज़ों को बिलकुल साफ़-सुथरे और विश्वसनीय ढंग से व्यंजित करते हैं। इस ढंग की कविताओं में 'नारे’, 'चुप होती आवाज़’, 'हेलीकॉप्टर’, 'कंक्रीट की दीवारें’, 'आख़‍िर कब तक’, 'उदास बच्चे’, 'चलते रहे रात-भर’, 'कृष्ण विवर’, 'तस्वीर’, 'चौराहा’, 'शहर में रातें’, 'खिलारी’, 'गुरुजी’, 'शहर’, 'भूख’ तथा 'वह लड़की’ का समावेश किया जा सकता है। इससे यह माना जा सकता है कि मिश्र जी के लिए कविता सिर्फ़ कला-यात्रा नहीं है। वह सामाजिक दायित्वों को सजगता के साथ सम्पादित करने की विधा है।     —पुरोवाक् से

More Information
Language Hindi
Format Hard Back
Publication Year 2019
Edition Year 2019, Ed. 3rd
Pages 191p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Radhakrishna Prakashan
Dimensions 22 X 14.5 X 2
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Rakesh Mishra

Author: Rakesh Mishra

राकेश मिश्र
राकेश मिश्र का जन्म 30 नवम्बर, 1964 को जनपद बलिया में हुआ। इलाहाबाद विश्वविद्यालय से विधि स्नातक राकेश मिश्र उत्तर प्रदेश में भारतीय प्रशासनिक सेवा में कार्यरत हैं तथा वर्तमान में उत्तर प्रदेश शासन में विशेष सचिव हैं।

इनके तीन काव्य-संग्रह—‘अटक गई नींद’, ‘चलते रहे रातभर’, ‘जिन्दगी एक कण है’ राधाकृष्ण प्रकाशन से वर्ष 2019 में प्रकाशित हुए हैं। एक अन्य कविता-संग्रह ‘शब्दगत’ वर्ष 2001 में प्रकाशित।

सम्पर्क : 538 क/90, विष्णुलोक कॉलोनी, मौसम बाग, त्रिवेणी नगर-2, सीतापुर रोड, लखनऊ-226020 (उत्तर प्रदेश)

ई-मेल : rakeshkmishr@gmail.com

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