Bharat Mein Darshanshastra

Translator: Sushila Doval
As low as ₹420.75 Regular Price ₹495.00
You Save 10%
In stock
Only %1 left
SKU
Bharat Mein Darshanshastra
- +

‘दर्शनशास्त्र : पूर्व और पश्चिम’ ग्रन्थमाला की यह तीसरी पुस्तक है, जिसके लेखक डॉ. मृणालकान्ति गंगोपाध्याय की गणना भारतीय संस्कृति और दर्शन के विशिष्ट विद्वानों में की जाती है।

ऋग्वैदिक काल से लेकर ईसा की पहली शताब्दी तक लगभग डेढ़ हज़ार वर्ष के दौरान भारतीय दर्शन में ईश्वरवादी-विचारवादी चिन्तन से लेकर लोकायत जैसी भौतिकवादी दर्शनिक धाराएँ देखने को मिलती हैं। प्रस्तुत पुस्तक में विद्वान लेखक ने इन समस्त धाराओं का मन्थन करते हुए भारतीय दर्शन की प्रकृति और अन्तर्वस्तु का यथार्थवादी परिचय दिया है।

पुस्तक की प्रस्तावना में भारतीय दर्शन की कुछ मूलभूत विशेषताओं की सामान्य विवेचना की गई है, और उसके पश्चात् प्रमुख सम्प्रदायों—उनके प्रणेताओं और ग्रंथों के साथ-साथ उनके बुनियादी सिद्धान्तों की चर्चा की गई है। भारतीय विचारकों ने दर्शन की महत्त्वपूर्ण समस्याओं पर अपने-अपने तरीक़े से जो तर्क-वितर्क किया था, उसकी विवेचना भी प्रस्तुत पुस्तक में है।

निस्सन्देह इस विषय पर अनेक पाठ्य पुस्तकें उपलब्ध हैं, परन्तु डॉ. गंगोपाध्याय ने वस्तुनिष्ठता बनाए रखने के लिए पुरानी लीक पीटने के स्थान पर विवेचना की नई विधि अपनाई है और भारतीय दर्शन को, पांडित्य का प्रदर्शन किए बिना, ऐसे सरल शब्दों में प्रस्तुत किया है कि यह पुस्तक उन सामान्य पाठकों के लिए भी उपयोगी हो गई है, जिनमें से कुछ के लिए, सम्भव है, यह अपने विषय की पहली पुस्तक हो। तथापि, हम आशा करते हैं कि दर्शन के विद्यार्थियों के लिए भी यह पुस्तक विचारोत्तेजक और ज्ञानवर्द्धक सिद्ध होगी।

More Information
Language Hindi
Format Hard Back, Paper Back
Publication Year 2009
Edition Year 2022, Ed. 4th
Pages 152p
Translator Sushila Doval
Editor Deviprasad Chattopadhyay
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 22 X 14 X 1.5
Write Your Own Review
You're reviewing:Bharat Mein Darshanshastra
Your Rating

Author: Mrinal Kanti Gangopadhyay

मृणालकान्ति गंगोपाध्याय

मृणालकान्ति गंगोपाध्याय (जन्म : 1941), एम.ए., डी.लिट्., व्याकरणतीर्थ। पहले विश्वभारती विश्वविद्यालय में संस्कृत एवं दर्शनशास्त्र का अध्यापन। सम्प्रति कलकत्ता विश्वविद्यालय में संस्कृत के आशुतोष प्रोफ़ेसर।

प्रमुख कृतियाँ : ‘न्याय फ़िलॉसफ़ी (पाँच खंड), ‘विनीतदेवाज़ न्यायबिन्दु टीका’, ‘इंडियन एटॉमिज्म : हिस्ट्री एंड सोर्सेज़’, ‘इंडियन लॉजिक इन इट्स सोर्सेज़ एवं न्याय’ (वात्स्यायन-भाष्य सहित गौतम के ‘न्यायसूत्र’ का सम्पूर्ण अंग्रेज़ी अनुवाद)। भारतीय दार्शनिक अनुसन्धान परिषद द्वारा 1990 में प्रकाशित ‘चार्वाक/लोकायत’ (स्रोत-सामग्री एवं महत्त्वपूर्ण अध्ययनों की चयनिका, सम्पादक : देवीप्रसाद चट्टोपाध्याय) में सहयोग।

Read More
Books by this Author
Back to Top