Badhti Duriyan Gaharati Darar

Author: Rafiq Zakaria
Edition: 2023, Ed. 2nd
Language: Hindi
Publisher: Rajkamal Prakashan
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Badhti Duriyan Gaharati Darar

भारत–विभाजन के बाद, इन क़रीब पचास सालों में, हिन्दू–मुस्लिम रिश्तों में सबसे ज़्यादा गिरावट आई है। प्रस्तुत गवेषणापूर्ण अध्ययन में डॉ. रफ़ीक़ ज़करिया ने दोनों समुदायों के बीच आई टूटन के कारणों पर गहन विचार किया है।

अपने विश्लेषण की शुरुआत उन्होंने भारत पर मुहम्मद बिन कासिम (सन् 711) और महमूद गज़नवी (सन् 1020) के हमलों के परिणामों से की है। उसके बाद उन्होंने दिल्ली के सुल्तानों और बाद में मुग़लों के अधीन भारत की स्थितियों पर और दोनों समुदायों के समन्वित हितों के लिए की गई पहलक़दमियों पर नज़र डाली है। फिर वे, हिन्दुस्तान पर अंग्रेज़ी हुकूमत, उसकी ‘फूट डालो, राज करो’ की नीति और मुहम्मद अली जिन्ना द्वारा प्रस्तावित ‘दो–राष्ट्र सिद्धान्त’ का परीक्षण करते हैं। विभाजन की वजहों पर उन्होंने बड़ी गहराई से चिन्तन किया है और उसके दूरगामी परिणामों पर बड़े विस्तार से चर्चा की है। वे, अपने अध्ययन का समापन, एक चुनावी–शक्ति के रूप में हिन्दुत्व के उभार, 1992 में बाबरी मस्जिद की शहादत के परिणाम और भारत के वित्तीय नाड़ी–तंत्र मुम्बई में भाजपा–शिवसेना गठबन्धन की जीत से करते हैं। अपने प्रमेय का विकसन करते–करते डॉ. ज़करिया, दोनों समुदायों के बारे में प्रचलित अनेक ऐतिहासिक, धार्मिक और राजनीतिक भ्रमों–मिथकों को ध्वस्त करते चलते हैं।

डॉ. ज़करिया बड़े गम्भीर विद्वान और वरिष्ठ राजनेता हैं। ज़मीन से जुड़े होने की वजह से उन्हें यथार्थ की प्रत्यक्ष जानकारी है। अपने व्यापक ज्ञान और अनुभव का इस्तेमाल करते हुए उन्होंने ऐसी पुस्तक की रचना की है जो नए मार्ग प्रशस्त करती है, सत्याग्रही अन्तर्दृष्टि प्रदान करती है और हिन्दुस्तान के हिन्दुओं और मुसलमानों को अलग–अलग बाँटनेवाली समस्याओं के सही स्वरूप से जुड़े अहम सवालों का जवाब देती है। सबसे महत्त्वपूर्ण बात तो यह है कि यह पुस्तक बड़े व्यावहारिक सुझाव देकर यह बताती है कि दोनों समुदायों के बीच की गहरी दरारों को कैसे पाटा जा सकता है।

More Information
Language Hindi
Binding Hard Back
Publication Year 2000
Edition Year 2023, Ed. 2nd
Pages 350p
Translator Not Selected
Editor Not Selected
Publisher Rajkamal Prakashan
Dimensions 21 X 14 X 2
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Rafiq Zakaria

Author: Rafiq Zakaria

रफ़ीक़ ज़करिया

जन्म : 5 अप्रैल, 1920

डॉ. रफ़ीक़ ज़करिया विधि, शिक्षा, पत्रकारिता, राजनीति और इस्लाम से जुड़े विषयों के आधिकारिक विद्वान थे। उन्होंने स्नातकोत्तर परीक्षा मुम्बई विश्वविद्यालय से स्वर्णपदक के साथ उत्तीर्ण की और बाद में लन्दन विश्वविद्यालय से विशेष प्रतिष्ठा के साथ पीएच.डी. की उपाधि ग्रहण की। स्वतंत्रता-संघर्ष के साथ छात्र-जीवन से ही जुड़े रहे। अच्छे वकील के रूप में ख्याति प्राप्त करने के बाद महाराष्ट्र विधान परिषद् में चुने गए और 1962 के बाद से पन्द्रह वर्षों तक राज्य सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे। 1978 में सांसद बने और संसद में कांग्रेस के उपनेता का पद सँभाला। बाद में प्रधानमंत्री के विशेष दूत के रूप में उन्होंने 1984 में इस्लामी देशों का काफ़ी महत्त्वपूर्ण दौरा किया। 1965, 1990 और 1996 में तीन बार उन्होंने संयुक्त राष्ट्र में भारत का प्रतिनिधित्व किया।

अन्तरराष्ट्रीय प्रतिष्ठाप्राप्त विद्वान डॉ. ज़करिया ने ‘ए स्टडी ऑफ़ नेहरू’ समेत बीस से अधिक पुस्तकें लिखीं। सलमान रश्दी की किताब ‘सेटेनिक वर्सेज़’ के प्रत्योत्तर में लिखी उनकी पुस्तक ‘मोहम्मद एंड क़ुरान’ को विश्वव्यापी ख्याति मिली है। वे विभिन्न सामाजिक और शैक्षिक संगठनों से जुड़े रहे। मुम्बई और औरंगाबाद में उन्होंने एक दर्जन से ज़्यादा उच्चशिक्षा संस्थानों की स्थापना भी की।

उनकी प्रमुख प्रकाशित पुस्तकें हैं—‘ए स्टडी ऑफ़ नेहरू’, ‘रज़िया : द क्वीन ऑफ़ इंडिया’, ‘राइज़ ऑफ़ मुस्लिम्स इन इंडियन पॉलिटिक्स’, ‘हंड्रेड ग्लोरियस इयर्स’, ‘प्राइस ऑफ़ पावर’, ‘स्ट्रगल विदिन इस्लाम’, ‘ट्रायल ऑफ़ बेनज़ीर’, ‘मोहम्मद एंड क़ुरान’, ‘इक़बाल : ए पोएट एंड द पॉलिटिशियन’, ‘द वाइडनिंग डिवाइड’, ‘सरदार पटेल एंड इंडियन मुस्लिम्स’, ‘द प्राइस ऑफ़ पार्टीशन’, ‘गांधी एंड द ब्रेकअप ऑफ़ इंडिया’ आदि।

निधन : 9 जुलाई, 2005

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